Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan – Episode 11

This story is part of the Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan series

    कुमुद की सांस थम गयी। जब वह थोड़ी देर तक सांस न ले पायी तो थोड़ा सा अलग होकर उसने गहरी साँसे ली और फिर राज और कुमुद दुबारा बाहु पाश में बंध गए और फिर एक गहरे चुम्बन में उलझ गए।

    राज कुमुद के कभी ऊपर के तो कभी निचे के होँठ को बारी बारी से चूस रहा था। पहले तो कुमुद राज को सक्रीय साथ देने में झिझक रही थी।

    पर जब उसने देखा की राज मानने वाला नहीं है तो उसने अपने होठोँ को राज के होठोँ से चिपका दिया और राज के होठोँ को चूमने और चूसने लगी।

    कुछ देर बाद कुमुद राज से अपना मुंह हटा कर बोली, “राज, तुम जितने भोले दीखते हो उतने हो नहीं। तुम्हारे भैया तो जैसे हैं वैसे ही दीखते हैं। पर तुम तो छुपी कटार हो। खैर तुम बात सही कर रहे हो। कमल पहले से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सुअल है। मैं उसका स्वभाव जान गयी हूँ। मैं जानती हूँ की उसने शादी के पहले और शायद शादी के बाद भी कई औरतों को अपने चंगुल में फंसाया होगा और शायद चोदा भी होगा। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और बात वहाँ ही ख़तम हो गयी और हमारा संसार ठीक चलता रहा। पर अब तो बात रानी की आ गयी। इसी लिए मैं थोड़ी ज्यादा दुखी हो गयी थी। पर तुमने ठीक कहा। जहर जहर को मारता है। पर राज, यह बात चुभती है की मैं जिसे अपनी छोटी बहन मानती हूँ वही मेरे पति के साथ ऐश करना, सॉरी मेरे पति से चुदवाना चाहती है। बोलो मैं क्या करूँ? मैं जानती हूँ कमल नहीं सुधरेगा। या तो मैं कमल को छोड़ दूँ, या फिर उसकी यह आवारा गर्दी बर्दाश्त करूँ। मेरी समझ नहीं आता मैं क्या करूँ?”

    राज: “मेरे पास इसका सटीक इलाज है। मैं सच सच बताऊँ, तुमको क्या करना चाहिए? पर तुम मेरी बात नहीं मानोगी। वचन दो की मेरी बात मानोगी।”

    कुमुद:, “क्यों नहीं मानूंगी? मैं वचन देती हूँ, की मैं तुम्हारी बात मानूंगी।”

    राज: “तो फिर तुमने अभी कहा ना? जहर जहर को मरता है। अगर तुम समझती हो की रानी और कमल तुम्हें जहर दे रहे हैं तो तुम भी उनको जहर पिलाओ। ”

    कुमुद:, “क्या मतलब? साफ़ साफ़ कहो, तुम क्या कहना कहते हो।”

    राज: “तो आओ, जो खेल रानी और कमल खेलते हैं, वही खेल हम खेलें।”

    कुमुद ने राज की और देखा और हंस पड़ी और बोली, “अच्छा मियाँ? तुम अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो?”

    राज” “जहर जहर को मारता है। देखो मैं तुम्हें कोई तरह से भटका नहीं रहा। मैं मानता हूँ घर की बात घर में ही रहे तो अच्छा है। क्यों तुम इस जिद पर अड़ी हो की तुम ऐसा नहीं होने देगी? अगर मान भी लिया जाय की कमल रानी को चोदता है तो फिर भी रानी बीबी तो मेरी ही रहेगी. कमल फिर भी तुम्हारा पति ही रहेगा। जैसे ही तुम दोनों यहाँ से गए की बात खतम। अब तुम बात का बतंगड़ ना बनाओ यही मेरी तुम से बिनती है।”

    कुमुद एकदम सोच में ड़ूब गयी। थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, “शायद तुम ठीक ही कह रहे हो। मुझे इस बात को स्वीकार करना चाहिए। धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। मुझे अब कमल से कोई शिकायत नहीं करनी है। अगर वह रानी से सेक्स भी करता है तो मैं उसे ज्यादा तूल ना देने की कोशिश करुँगी। अब मैं चाहती हूँ की कमल और मैं हम दोनों पहले की तरह ही अपना जीवन बिताएं। मेरा मतलब है पहले की तरह ही सेक्स करें और एक दूसरे को शक की नजर से ना देखें। चलो घर चलते हैं। वहीं जा कर एक दूसरे से साफ़ साफ़ बात करते हैं।”

    यह कह कर कुमुद ने राज की बांह पकड़ी और अपना सर उसकी बांह से सटाकर चुपचाप बैठ गयी। राज ने भी कुमुद की पीठ सहलाते हुए कुमुद को थोड़ी देर ले लिए बेंच पर शान्ति से बैठ कर चिंतन करने का मौक़ा दिया।

    ऐसे ही कुछ मिनट बीत गए, तब कुमुद उठ खड़ी हुई और राज का हाथ पकड़ कर बोली, “चलो घर चलते हैं। ”

    राज कुमुद की बात सुनकर दुखी हो गया। वह कुमुद से कुछ देर और प्यार जताना चाहता था। राज का दिमाग कुमुद के इतने करीब बैठने से चकरा रहा था।

    उसके हाथ कुमुद की छाती पर सैर करने के लिए बेताब हो रहे थे। पतलून में राज का लण्ड भी कड़क हो चुका था।

    पर राज जानता था की अगर उसने जल्द बाजी की तो थोड़ी बहुत नरम पड़ी हुई कुमुद कहीं फिर से अपना तेवर बदल ना दे। कही बनी बनाई बात पर पानी ना फिर जाय।

    राज ने एक नजर कुमुद की और देखा और अपने मन का दुःख अपनी आँखों से जाहिर करने की कोशिश की। शायद कुमुद भी राज के मन की बात समझ गयी थी। कुमुद ने धीरे से राज का हाथ दबाया और शायद धीरज रखने का इशारा किया।

    धीरे से राज उठ खड़ा हुआ और आगे बढ़कर उसने एक ऑटो रिक्शा रोका। राज ऑटो रिक्शा में कुमुद से एकदम सटकर बैठा और कुमुद का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा।

    थोड़ी देर बाद राज ने कुमुद की कमर के इर्दगिर्द अपना हाथ घुमा कर उसे अपने सीने से दबा लिया। कुमुद भी अपना सर राज के सीने पर रख कर अपने मन के तरंगों में खो गयी।

    क्यूंकि मोहल्ले में गरबा हो रहा था इसलिए उन्होंने ऑटो रिक्शा घर से थोड़ी दूर पर ही छोड़ दिया।

    जब राज और कुमुद घर पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। घर में कमल और रानी पहुँच चुके थे क्यूंकि घर अंदर से बंद था। बाहर कोई ताला नहीं लगा था।

    कुमुद ने राज की और देखा। राज ने अपने होंठों पर उंगली रख कर कुमुद को चुप रहने का इशारा किया।

    राज फिर धीरे से कंपाउंड की लॉन में से होकर अपने बैडरूम की खिड़की के पास दबे पाँव पहुंचा और खिड़की पर कान देकर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करने लगा। वह खिड़की राज के बेडरूम की थी।

    अंदर कमल और रानी की आवाजें हलकी सी सुनाई पड़ती थीं। राज ने कुमुद को भी अपने पास बुलाया ताकि अंदर हो रही बात कुमुद भी सुन सके।

    अँधेरे में कुछ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर रानी की आवाज राज और कुमुद ने सुनी। रानी की साँसें तेज गति से चल रही थीं। उसकी आवाज रुक रुक कर आ रही थी।

    रानी कमल से कह रही थी, “कमल, यह हम ठीक नहीं कर रहें हैं। यह तुम क्या कर रहे हो? थोड़ा रुको, देखो कहीं राज और कुमुद आ ना जाए।”

    फिर कमल की आवाज, “रानी, मैं कब से तुम्हारे यह गोरे भरे हुए बदन को छूने की कल्पना कर के पागल हो रहा हूँ। तुम भी तो कभी से मचल रही हो। तो क्यों न हम एक दूसरे की इच्छा की आज मन भर कर तृप्ति कर लें? राज और कुमुद को आने में अभी काफी देर है। अगर राज और कुमुद आ भी गए तो मैं उनको कुछ कह कर समझा लूंगा। कह दूंगा की वह दूसरे कमरे में ही चले जाएँ और हमें अकेला छोड़ दें।”

    रानी, “पागल हो गए हो? अगर वह आ गए तो आप कुछ मत बोलना, मैं सब सम्हाल लुंगी।”

    कमल, “पर अभी तो वह नहीं है ना। तो फिर मान जाओ ना? आ जाओ ना?”

    रानी: “अरे कमल प्लीज तुम मान जाओ ना? ऐसा मत करो, प्लीज? देखो, वह दोनों आने वाले ही होंगे।“

    कमरे में थोड़ी देर फिर चुप्पी हुई। शायद कमल रानी के कपडे पकड़ कर उसे अपनी और खिंच रहा था।

    रानी सहम कर बोली, “हे भगवान्! कमल तुम मानोगे नहीं। चलो ठीक है। लो मैं आ गयी, बस? खुश? पर अब कपडे मत निकालो।“

    कमल: “प्लीज डार्लिंग! अब थोड़ी देर के लिए ही! मान जाओ न!”

    रानी: “अरे समझो भी! पागल मत बनो। बहुत मौके मिलेंगे। अगर वह दोनों आ गए तो कपडे पहनने में समय लगेगा और उनको शक हो जाएगा।…… ”

    और फिर अंदर बातचीत बंद हो गयी।

    यह समझना कोई मुश्किल न था की बैडरूम में राज की पत्नी रानी और कुमुद का पति कमल एकदूसरे को गाढ़ आलिंगन कर रहे थे।

    ऐसा लग रहा था जैसे कमल रानी का ब्लाउज खोलकर उसके मम्मे चूस रहा था। अंदर से चूमने की और रानी की सिसकारोयों की आवाजें आने लगीं।

    रानी: ” फिर वही जिद? अरे ….. कमल, प्लीज मान जाओ ना? कपडे मत निकालो प्लीज़? इस अंधेरे में वैसे भी तुम्हें कुछ नहीं दिखेगा। कमल प्लीज यह क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है। रुको, ऐसे नहीं। मैं ठीक कर देती हूँ। हे भगवान् तुम मानोगे नहीं। आह्हः… आह…. धीरे से कमल धीरे से। दर्द होता है। क्या कर रहे हो? चलो बस अब हो गया। अरे ब्लाउज मत खोलो बाबा। नहीं। रुको, मैं ब्लाउज और ब्रा को थोड़ा खिसका देती हूँ, ठीक है? चलो बाबा कर लो।”

    अंदर से फिर कुछ कपड़ों को खिंचने की आवाज आयी। बाहर खिड़की में सुन रहे कुमुद और राज एक दूसरे को भौंचक्का सा देखते ही रह गए।

    कुमुद के मुंह पर अजीबो गरीब भाव नजर आ रहे थे। राज डर गया की कुमुद कहीं कुछ उत्तेजनात्मक काम ना कर बैठे।

    राज ने धीरे से कुमुद का हाथ दबाया और चुप रहने का इशारा किया।

    अचानक अंदर का कमरा जगमगा उठा। लगता था जैसे कमल ने बिजली का स्विच चालु कर दिया था। अब राज और कुमुद को अंदर की गतिविधियां साफ़ दिख रही थीं।

    रानी की साडी और ब्लाउज गायब थे। रानी कमल के सामने अपनी छाती पर अपने दो हाथों से ब्रा को ढकने का नाकाम प्रयास करते हुए ऊपर ब्रा और निचे घाघरा पहने खड़ी हुई थी। अंदर से रानी की दबी हुई आवाज आयी, “कमल यह क्या कर रहे हो?”

    कमल: “तुम कह रही थी ना अन्धेरा है कुछ नहीं दिखेगा। तो चलो अब मैंने बत्ती जला दि। अब तो सब कुछ दिख रहा है न? अब तो मुझे देखने दो, मत रोको, प्लीज ….?”

    ऐसे कहते हुए कमल ने फुर्ती से लपक कर रानी को अपनी बाहों में दबोच लिया और पीछे हाथ डाल कर रानी के ब्रा की पट्टी खोल दी।

    रानी की ब्रा रानी के कन्धों पर असहायता पूर्वक लटक पड़ी। रानी के उन्नत उरोज नंगे हो चुके थे पर फिर भी नहीं दिख रहे थे, क्यूंकि रानी ने अपने हाथों से उसको ढक दिया था।

    कमल के आहोश में जकड़ी हुई रानी के स्तन कमल की छाती से दबने के कारण फैल गए थे और वह फैलाव नजर आ रहा था।

    जैसे ही कमल का एक हाथ रानी के उभरे करारे स्तनों और उसकी फूली हुई निप्पलोँ से खेलने लगा, रानी का अवरोध धीरे धीरे कम होने लगा।

    रानी की कमल का हाथ हटाने की कमजोर चेष्टा का कमल पर कोई असर नहीं हुआ। कमल का दुसरा हाथ रानी के घाघरे के उपर से ही रानी की गाँड़ पर रानी को अपने बदन से सटा कर दबा कर रखने में लगा हुआ था।

    कमल की उंगलियां रानी की गाँड़ को दबा ने में और एक उंगली तो उसकी गाँड़ के गालों के बिच वाली दरार को कुरेद ने की कोशिश में लगी हुई थी।

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