Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 7

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    अजित ने मुझे एक बाँह मेरी पीठ के निचे और दूसरी बाँह मेरे घुटनों के पीछे लगा कर बड़ी आसानी से पूरी तरह अपनी बाँहों में ऊपर उठा लिया और मुझे उठा कर बैडरूम में ले गया और बिस्तर पर धीरे से रख दिया.

    वो बोला, “मैं तुम्हें आज एक रंडी की तरह चोदुँगा। तु साली राँड़ बड़े नखरे कर रही थी और यह दिखाने की कोशिश कर रही थी की तू बड़ी सभ्य और ऊँचे समाज की है। पर मैं जानता था की तेरी चूत मेरे मोटे लण्ड के लिये बड़ी मचल रही है। आज मैं तुझे न सिर्फ चोदुँगा बल्कि चोद चोद कर तेरी यह छोटी सी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।”

    किसी और जगह कुछ अलग परिस्थिति में ऐसी भाषा सुनकर शायद मैं गुस्से से तिलमिला उठती। पर अजित की ऐसी गन्दी गालियाँ सुनकर मेरी काम वासना और भड़क उठी।

    मैंने भी ऐसी ही भाषा में जवाब देते हुए अजित से कहा, “ऐ भड़वे! तुझमें अगर दमखम है तो दिखा मुझे अपने लण्ड का जोश। तुम अपने आप को क्या समझते हो? क्या तुम मुझे आसानी से चोदोगे और मैं तुमसे चुदवाउंगी? अरे जा रे! मुझे चोदने के सपने छोड़ दे।”

    मैं बार बार अजित को चोदना, लण्ड ऐसे शब्द उपयोग करके यह इशारा देना चाहती थी की मैं मना तो करती रहूंगी पर मेरी ना में भी मेरी हाँ है। अजित मुझ पर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था। वह मुझे अच्छा लगा। पर मैं चाहती थी की वह उस रात मुझे चोदे।

    मैंने उसे चुनौती देते हुए कहा, “अरे तुम में दम ही कहाँ है? चोदने की बात तो दूर, अगर दम है तो मुझे पकड़ कर तो दिखाओ। तुम सिर्फ बातें करने वालों में से हो। चोदने वाले और होते हैं। वह बातें नहीं करते।” ऐसा कह कर मैंने उसे तिरछी भाषा में मुझे चोदने का आमंत्रण दे दिया।

    मेरी ऐसी ही बराबरी की गन्दी और असभ्य भाषा सुनकर अजित काफी उत्तेजित हो गया। उसने भाग कर मुझे एक झटके में दबोच लिया। मैं बड़ी कोशिश की छूट कर भागने की, पर मेरी एक ना चली।

    अजित ने निचे झुक कर मेरा नाइट गाउन मेरे पाँव से उठाकर मेरे सर से पार कर के एक कोने में फेंक दिया और मुझे एकदम नंगी कर दिया। मैंने शर्म के मारे एक हाथ की हथेली से अपनी चूत और दूसरे हाथ से अपने दोनों स्तनों को ढकने की नाकाम कोशिश की।

    मेरी यह कोशिश देख कर अजित मुस्कराया और बोला, “साली राँड़। मेरे भाई से चुदवाने में तो कुतिया को ज़रा सी भी शर्म नहीं आ रही थी और अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ तो साली शर्माती है? इतना आगे बढ़ने के बाद शर्मा रही है?

    पर जैसे जैसे अजित ने मेरे नंगे बदन को बिस्तर पर लेटे हुए देखा जो उससे चुदवाने के लिए बेताब था तो वह मुझे देखता ही रहा। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी।

    मेरे बदन की झलक तो उसने देखि थी। पर पूरी तरह निर्वस्त्र मचलता हुआ मेरा नंगा बदन वह पहली बार देख रहा था। उसकी आँखें मेरे नंगे बदन को एक तक ऊपर से निचे तक ताकती ही रही। शायद उसकी बीबी भी उसके सामने ऐसे हालात में नग्न नहीं पड़ी होगी।

    उसकी आँखें पहले तो मेरे उद्दंड स्तन मंडल पर पड़ीं जो इतने गोल फुले होने के बावजूदपूरी फूली हुई निप्पलोँ से सुसज्जित ऐसे अक्कड़ खड़े हुए थे, जैसा की अजित का लण्ड मेरे नंगे बदन को देख कर खड़ा था।

    अजित ने हाथ बढ़ाया और मेरे फुले हुए स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ा और बोला, “बापरे! कितनी सुन्दर तुम्हारी यह चूँचियाँ है! साली तेरे इस कमसिन और इतने खूबसूरत बदन पर अगर मेरे भाई की नियत बिगड़ी तो उस बेचारे का क्या दोष?”

    फिर उसकी नजर मेरी पतली कमर और उसके बिच कुँए के सामान मेरी नाभि पर पड़ी। अजित ने मेरी नाभि में अपनी उंगली डाली और उस छेद में उंगली घुमाते हुए वह मेरी कमर के निचे वाले थोड़े से ऊपर उठे हुए बदन से होकर मेरी चूत से थोड़े से ऊपर वाले टीले को घूर घूर कर ताकता ही रहा।

    मेरी खूबसूरत और हलकी झाँटों की कलापूर्ण तरीके से की हुई छंटाई का मुझे बड़ा गर्व है। उसे देख कर तो अजित की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। मेरी सुआकार जाँघों के बिच में मेरी छोटी सी चूत पर अजित की आँखें गड़ी ही रह गयीं।

    अजित ने धीरे से मेरे बदन को ऊपर उठाया और मुझे बिस्तर पर पलटा, जिससे मेरी गाँड़ को वह अपनी नज़रों से नंगी देख सके। अजित मेरे बाजू में बैठ गया और अपना हाथ मेरी करारी गाँड़ पर फिराने लगा। उसने मेरी गाँड़ के फुले हुए गाल दबाये और अपनी उंगली मेरी गाँड़ की दरार में जब डाली तो मैं उत्तेजना के मारे सिहर उठी। रोमांच से मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए।

    काफी देर तक वह मेरी गाँड़ और मेरी गर्दन और पीठ की खाई को सहलाता रहा। फिर उसने दुबारा मुझे बिस्तर पर पलटा और मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा। मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी। मैंने फिर मेरा एक हाथ मेरे स्तन पर दुसरा हाथ मेरी चूत पर रखा।

    थोड़ी देर ताकने के बाद अजित ने अपने आप को सम्हाला और बोला, “साली कुतिया, हटा अपने हाथों को और खोल दे अपनी टाँगों को। अब मैं तुझे अपने मोटे और लम्बे लण्ड से चोदुँगा। अब लेटी हुई क्या कर रही है? चल उठ मेरे लण्ड को पकड़ और बाहर निकाल।”

    ऐसा कह कर अजित ने मेरा सर पकड़ा और मुझे बैठा दिया और उसके लण्ड को उसकी पतलून में से बाहर निकाल ने के लिए मुझे बाध्य किया। मैंने उसके पतलून की ज़िप खोली और उसमें हाथ डाल कर उसकी अंडरवियर में से उसका लण्ड बाहर निकाल ने की कोशिश की।

    पर अजित का लण्ड इतना मोटा और इतना फूल चुका था की उस छोटे से छेद में से उसे बाहर निकालना संभव नहीं था। मैंने फुर्ती से अजित के पतलून की बेल्ट खोली।

    अजित ने भी अपने बटन खोलकर अपनी पतलून पहले निचे गिरा दी और फिर अपनी अंडरवियर निचे खिसका कर अलग कर दी। अपनी शर्ट और बनियान भी अजित ने चंद सेकण्ड में ही निकाल फेंकी।

    मेरे सामने अजित पूरी तरह नंगा खड़ा हो गया। मैंने पहेली बार अजित का पूरा कड़क और फुला हुआ लण्ड देखा। अजित का लण्ड अच्छा खासा लंबा था। मेरे पति के लण्ड के मुकाबले थोड़ा ज्यादा लंबा था। मोटाई मेरे पति के लण्ड के जितनी ही होगी।

    पर ख़ास बात यह थी की उसक लण्ड चिकनाहट से पूरा सराबोर था। उसके लण्ड के छिद्र में से उसका पूर्व स्राव बून्द दर बून्द निकल रहा था।

    ऐसा लगता था की काफी समय से उसे चूत चोदने का मौक़ा नहीं मिला था। उसके लण्ड पर फैली हुई नसें उत्तेजना के कारण फड़क रही थीं। मैंने अजित के लण्ड के इर्दगिर्द मेरी मुठ्ठी की अंगूठी बनादि और अजित के लण्ड की ऊपर वाली चमड़ी को हलके से बड़े प्यार से उसके लंड पर सरकाने लगी।

    मेरा हाथ लगते ही अजित के बदन में सिहरन मैंने महसूस की। अजित ने मेरा सर पकड़ा और वह अपने लण्ड को मेरे मुंह के पास लाया। जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला की अजित ने उसे मेरे मुंह में डाल दिया।

    कुछ समय तक अजित मेरे मुंह को चोदता रहा। मेरे मुंह में दर्द होने लगा तो मैं पीछे हट गयी और अजित का लण्ड मैंने अपने मुंह से निकाल दिया तो अजित बोल पड़ा, “साली वेश्या, मेरा लण्ड चूसने में थक जाती है। मेरे भाई का लण्ड तो अच्छी तरह से चूसती होगी तू?”

    मैंने अजित की और देखा और बोली, “अगर मैं तेरे भाई से चुदवा रही हूँ तो तू कौन सा तेरी उस प्रिया राँड़ को चोद नहीं रहा? साला बनता है हरीशचन्द्र! लण्ड चुसवाने के लिए तो बड़ा कूद रहा है? अब आजा और मेरी चूत को भी चूस और मेरी चूत का पानी पी।” मैंने यह कह कर अपनी टांगें खोली और अजित को मेरी चूत चूसने के लिए उकसाया।

    मैंने उस रात तक कभी मेरे पति को भी इस तरह बेशर्मी से मेरी चूत चाटने का आह्वान नहीं क्या था। मैंने कभी जिंदगी में ऐसी गन्दी गालीयाँ ना किसी को दी थी या ना किसी से सुनी थी। मैं खुद अपने इस बर्ताव से हैरान थी।

    अंदर ही अंदर मैं पागल हो रही थी। हमारे यह गंदे गाली गलौज से मेरे पुरे बदन में चुदवाने की इच्छा इतनी जबरदस्त हो रही थी की मैं सब्र नहीं कर पा रही थी।

    अपने पॉंव फर्श पर लटका कर मैं बिस्तर पर लेट गयी। मेरी चूत मैंने अजित की चुसाई करवाने के लिए छोड़ दी। अजित मेरी टाँगों के बिच मेरी जाँघों को थोड़ा चौड़ा कर के बैठ गया। उसने मेरी चूत को ध्यान से एकदम करीब से देखा और अपना मुंह मेरी चूत से सटा दिया।

    मेरी चूत की सबसे नाजुक जगह पर वह अपनी जीभ की नोक से चाटने लगा और मेरी चूत के होठोँ को अपनी जीभ से रगड़ कर मुझे उकसाने लगा। फिर अजित ने हलके से मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दीं और मुझे अपनी उँगलियों से चोदने लगा।

    हर औरत उँगलियों की चुदाई से बहुत ज्यादा उत्तेजित होती है यह मर्दों को पता होता है। उँगलियों से अगर अच्छी तरह आप किसी औरत को चोदते हो तो वह बेचारी आपके लण्ड से चुदवाने के लिए बेबाक हो जायेगी। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

    जैसे जैसे अजित ने उँगलियों से चोदने की रफ़्तार बढ़ाई, मैं उसे लण्ड से चोदने के लिए मिन्नतें करने लगी।

    मैंने उसे कहा, “अजित अब सब हो गया, अब मैं तुम्हारा यह लंबा लण्ड लेना चाहती हूँ। कई महीनों से मैं चुदी नहीं। मुझे अब तुम्हारे इस मोटे लम्बे लण्ड से मेरी चूत की भूख और प्यास मिटानी है। तुम जल्दी ही मेरे ऊपर चढ़ जाओ और तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में पेलना शुरू करो। अब अगर देर करोगे तो मैं तो तुम्हारी उँगलियों की चुदाई से ही ढेर हो जाउंगी। फिर पता नहीं तुमसे चुदवाने की ताकत रहेगी या नहीं।”

    पर अजित ने मेरी एक ना सुनी। वह उँगलियों से तेज रफ़्तार से मेरी चुदाई करता रहा। मैं अपने आप को रोक पाने में असमर्थ थी। मैं कामाग्नि से जल रही थी और अपनी उत्तेजना के चरम पर पहुँच रही थी।

    अजित ने थोड़ी देर और उँगलियों से मुझे चोदना जारी रखा तो मैं अजित का हाथ पकड़ कर, “अजित, गजब हो गया यार, आह… उफ़…. ओह… कराहते हुए मैं लुढ़क गयी और मेरी चूत मैं ऐसी मौजों की पुरजोश उठी की मेरा रोम रोम अकड़ गया और एक बड़ी आह के साथ मेरा छूट गया। मैं बिस्तर पर ही ढेर हो गयी।

    मुझे लुढ़कते हुए देख कर अजित ने अपनी उंगलियां मेरी चूत में से निकाल ली। उसकी उंगलियां मेरे स्त्री रस से पूरी तरह लबालब थीं। अजित ने एक उंगली खुद चाटी और एक उंगली मेरे मुंह में डाली।

    मैंने अपनी ही चूत के रस को चाट लिया। मेरी साँसे फूल रही थी। मेरी छाती तेजी से ऊपर निचे हो रही थी जिससे मेरे दोनों स्तन इधरउधर हिल रहे थे। अजित ने उन्हें अपनी हथेलियों में दबोच लिया और उन्हें कस के दबाने और मसलने लगा।

    थोड़ी देर बिस्तर पर पड़े रहने के बाद मेरी साँसों की तेज रफ़्तार थोड़ी धीमी हुई। मैं अजित का लंबा और मोटा लण्ड मेरी चूत में डलवाने के लिए बेकरार थी।

    मैंने अजित को धक्का मार कर कहा, “चल साले चढ़ जा और दिखा अपनी मर्दानगी। मैं भी देखूं की आज तुझ में कितना दम है। देखती हूँ तेरा लण्ड कितनी देर मुझे चोद सकता है। जल्दी ढेर मत हो जाना। आज मैं पूरी रात तुझ से चुदवाना चाहती हूँ। तेरे में जितना दमखम है निकाल ले। पर हाँ, तु उस मेज के दराज में पीछे कण्डोम रखे हैं। उसमें से एक कंडोम अपने लंड पर लगा ले। मुझे डर है कहीं तू मुझे गर्भवती ना कर दे।”

    अजित ने फटाफट एक कंडोम निकाला और अपने लण्ड पर चढ़ा दिया। अब अजित का लण्ड उस प्लास्टिक की टोटी में अजीब सा लग रहा था।

    मैं अजित से कोई लंबा सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी की उस रात की चुदाई मेरी जिंदगी में कोई गजब ढाए।

    मैं अजित को चुदाई का आनंद देना चाहती थी। और कई महीनों से लण्ड की भूखी मेरी चूत की भूख मिटाना चाहती थी। बस इतनी ही बात थी। मुझ में और अजित के स्वभाव के बिच में बड़ा अंतर था। हमारी सोच अलग थी, हमारा रास्ता अलग था।

    अजित मेरी दोनों टाँगों के बिच आ गया। उसने मेरी टाँगें अपने कंधे पे रखीं और अपना लण्ड मेरी चूत के छिद्र पर रख दिया। मैंने उसके लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ा और अपनी चूत पर रगड़ने लगी ताकि मेरी चूत का द्वार और उसका लण्ड चिकनाहट से पूरी तरह स्निग्ध रहे जिससे अजित का लंड घुसने के समय मुझे ज्यादा तकलीफ ना हो।

    वैसे तो मेरी चूत में से मेरा स्त्री रस इतनी तेजी से रिस रहा था पर चूँकि अजित का लण्ड कंडोम में था इस लिए कंडोम को बाहर चिकना करना जरुरी था।

    मैंने अजित को इशारा किया की अपना लण्ड वह मेरी चूत में डाल दे। अजित ने एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी फड़कती चूत में घुस गया।

    इतनी सावधानी बरतने के बावजूद भी मेरी चूत में दर्द की टीस सी उठी। मेरी चूत का छिद्र छोटा होने के कारण मैं अक्सर चुदाई की शुरुआत में ऐसे ही परेशान रहती थी।

    मेरी दर्द भरी कराहट सुनकर अजित थोड़ी देर रुका। पर मैंने उसे चुदाई करने का इशारा किया तो उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और एक और धक्का दे कर उसे फिर मेरी चूत में घुसेड़ा।

    धीरे धीरे अजित ने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। काफी महीनों के बाद मेरी चूत में लण्ड को पाकर मेरी चूत तेजी से फड़कने लगी।

    मेरी चूत के अंदर की नसें और स्नायु ने अजित को लण्ड को जकड लिया था। अजित के लण्ड को मेरी चूत की फड़कन शायद महसूस हो रही थी। यह उसे बता रही थी की मैं भी उससे चुदवाने के लिए कितनी बेताब थी।

    अजित के बड़े अंडकोष मेरी चूत और गाँड़ पर “छप छप” थपेड़ मार रहे थे। जैसे ही अजित ने चोदने के रफ़्तार तेज की, मेरा बदन अजित के धक्कों से पूरा इतनी तेजी से हिल रहा था की मेरा पलंग भी इधर उधर हो रहा था।

    अजित एक अच्छा चोदने वाला साबित हो रहा था। मुझे काफी अरसे के बाद इतनी बढिया चुदाई का अवसर मिला था।

    अजित में टिकने की क्षमता देख कर मैं हैरान रह गयी। मेरे पति मुझे चोदते समय ज्यादा से ज्यादा दो या तीन मिनट तक टिक पाते थे। पर अजित तो लगा ही रहा। कम से कम दस से पंद्रह मिनट तक जरूर अच्छी तरह उसने मुझे चोदा।

    मुझे अजित के लण्ड की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की अजित से पहले ही मैं दुबारा ढेर होने वाली थी। पर मैं चाहती थी की मैं और अजित एक साथ ही अपना माल छोड़ें। मुझे अजित के माल छोड़ने की चिंता नहीं थी क्यूंकि मैंने उसे टोटी पहना रक्खी थी।

    मैंने अजित को निचे से ही ऊपर की और धक्का मारना शुरू किया। मैं अजित को जताना चाहती थी की मैं अब अपना पानी छोड़ने वाली हूँ।

    अजित ने जब यह देखा तो उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। अब मैं उत्तेजना से तार तार हो रही थी। मेरा दिमाग उत्तेजना और रोमाँच से घूम रहा था।

    मैं जैसे उत्तेजना के सैलाब में उल्लास की ऊँची ऊँची मौंजों पर एक काबिल गोताखोर की तरह पाँव में लकड़ी की पट्टी लेकर चरम की ऊँचाइयाँ छू रही थी।

    मेरे जहन में एक ही गजब का धमाका हुआ और मेरा पूरा बदन जैसे तनाव से झकझोर हो गया। मैं कामोन्माद की चरम सीमा पार कर चुकी थी। वह सम्भोग के चरम का उन्माद अवर्णनीय था। अजित कैसा भी हो, चुदाई का वह निष्णात था।

    मेरे छूटने के साथ साथ ही मुझे महसूस हुआ की उसकी टोटी में उसका गरम गरम वीर्य का फौव्वारा छूटा और वह थैली उसके माल से भर गयी। मुझे डर था की उसका वीर्य इतना ज्यादा ना हो की कहीं थैली ही ना फट जाए।

    अपना माल छोड़ कर अजित मेरे ऊपर ही निढाल होकर गिरा। अब मुझे उसके बदन का भार लगा। चुदाई के पागलपन में तो मुझे उसके वजन का एहसास तक नहीं हुआ था।

    उस रात मैंने अजित से मेरी कई महीनों की चुदाई की भूख शांत हो इतनी चुदाई कराई। मैं उससे निचे रह कर एक बार तो एक बार उसके ऊपर चढ़ कर, एक बार मेरी पीछे से कुत्ता कुतिया जैसे तो एक बार टेढ़े होते हुए चुदाई करवाई।

    सुबह होते होते मेरी चूत सूझ गयी थी। मैं ठीक से चल ने की हालत में नहीं थी। पर मुझे संतोष था की मैंने मेरे पति की बेवफाई का उस रात पूरा बदला लिया। मेरे पति ने किसी और को चोदा था तो मैंने किसी और से चूदवाया। और एक बार नहीं, कई बार चुदवाया।

    उस रात के बाद मैंने अजित को दो बार देर रात घर पर बुलाया और उससे मेरी अच्छी तरह चुदाई कराई। मुझे अब अच्छा लगने लगा था।

    कहानी आगे जारी रहेगी..

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