Wrong Number Se Lekar Chudai Tak – Part 3

हेल्लो दोस्तों, दीप पंजाबी का प्यार भरा नमस्कार कबूल करे, आज की कहानी पिछली कहानी “रोंग नम्बर से लेकर चुदाई तक का सफर” का अगला भाग है।

पिछली कहानी में आपने पढ़ा के कैसे अजय ने मनी के घर जाकर उसको चोदा। उसके बाद वो शाम को अपने मामा के घर रहा और अगली सुबह अपने घर आ गया। दोपहर को मनी ने सोशल साईट से उसको मेसज किया और कल हुए हादसे पर बात की। इस तरह फेर रोज़ाना उनका नेट पे मिलन होने लगा। अब जब भी उनका दिल करता वो वीडियो काल पे बात कर लेते।

उस दिन के बाद अचानक मनी का फोन स्विच आफ आने लगा। जो के अजय के लिए वाक्य ही चिंता का विषय था। उसने सिम और नेट पर भी ढेरों मेसज भेजे। लेकिन मनी ने एक मेसज का जवाब भी नही दिया।

अजय कुछ दिन तो देखता रहा के शायद आज मोबाईल की स्विच खुल जाये। उसके मन में उलटे सीधे ख्याल आने लगे जैसे के उसका मोबाइल पकड़ा न गया हो। जिससे गुस्से में आकर उसके पति ने फोन तोड़ दिया हो।

काफी दिनों तक जब कोई जवाब न आया तो अजय अपने मामा से मिलने के बहाने मनी के शहर चला गया। वहां उसके घर के सामने जाकर उसे पड़ोस वालो से पता चला के एक हफ्ता पहले मनी के पति की कार दुर्घटना में मौत हो गयी है और अब मनी साथ वाले गांव अपने मायके में रह रही है।

अब अजय को फ़ोन बन्द आने का कारण समझ आ गया था। वो मन मारकर अपने घर वापिस आ गया और उदास रहने लगा। घर वालो ने बहुत पूछा लेकिन तबियत ठीक न होने का बहाना लगाकर उन्हें टाल दिया।

करीब 15 दिन बाद जब अजय फेक्ट्री में काम पे था तो उसके फोन पे मनी की काल आई। अजय के काल उठाते ही मनी ज़ोर जोर से रोने लगी और अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताया। अजय ने उसे सांत्वना दी और सब्र रखने की विनती की। फेर धीरे धीरे वो नारमल होने लगे।

अब एक महीने से चुदासी होने कारण मनी उसे मिलने को कहने लगी। लेकिन अजय उसके मायके घर में जाता तो कैसे? फेर मनी ने एक स्कीम बनाई के तुम मेरी दूर की रिश्तेदारी जो के सुसराल पक्ष की है, उसमे से देवर बनकर आ जाओ । यहाँ तुम हफ्ता भर रहना। दिन रात मज़े करेगे। अजय को स्कीम भा गई। अगले दिन ही वो अपने साथ कुछ जरूरी कागज़ लेकर मनी के द्वारा दिए पते पे पहुंच गया।

दोनों ने आँख के इशारे से एक दूसरे को हलो कहा। फेर अजय ने मनी के पांव छुए और भाभी कहकर उसका आशीर्वाद लिया। फेर मनी के माँ बाप के पांव छुये। फेर मनी ने भूमिका बांधते हुए अजय का परिचय अपने माँ बापू से करवाया के बापू जीे ये सुनील (उसका स्व. पति) की भुआ का लड़का अजय है।

एक दिन सुनील ने बताया था के उसकी बुआ का लड़का किसी कम्पनी में लगा है और शहर शहर जाकर अपनी कम्पनी की और ब्रांचों में जाकर वहां का काम काज देखता है। एक दिन इसने भी फोन पे मुझे बताया था के जल्द ही मेरी ड्यूटी आपके शहर में लगने वाली है। जब लगेगी तो आपके वहां ही रहूंगा। सो आज वो दिन आ गया है। आपको कोई अप्पति न हो तो मैं इसे कुछ दिन के लिए यहां रख सकती हूँ क्या ?

मनी की माँ – हाँ बेटी, क्यों नही। चाहे तुम्हारे सुसराल की तरफ से रिश्तेदार है। उसकी सेवा करना तुम्हारा फ़र्ज़ है। वैसे भी तुम अकेली गुम सूम सी रहती हो। तुम्हारा मन भी इसके साथ बहलता रहेगा। सो हमे कोई आपत्ति नही है। ये भी इसका खुद का घर है। जब मर्ज़ी देर सवेर आये। इसके लिए ये दरवाजे हमेशा खुले है। ऐसा करो अजय को इसका कमरा दिखादो। इसका चाय पानी वही पुहचा दो।

माँ की तरफ से इतनी छूट मिलने से दोनों का मन गदगद हो गया।

मनी अजय को लेकर गेस्ट रूम की तरफ चली गयी। वहां पहुंचते ही अजय ने दरवाजा बन्द करके मनी को पीछे से जकड़ लिया और कहा,” वाह कमाल की एक्टिंग करते हो जानू आप तो, फेर हल्की सी चक्की मनी की गाल पे काट ली।

मनी – ये तो जस्ट ट्रेलर था देवर जी, और प्लीज़ चक्की न काटो, दांतो के निशान सारी कहानी बयान कर देंगे। जिस से बना बनाया काम बिगड़ सकता है। आप पहले आराम करो। फेर नहा धोकर खाओ, पीओ रात को हम मज़ा लेंगे। तब तक आप थोडा सब्र करो। मैं भी बहुत व्याकुल हूँ तुमसे चुदवाने को, लेकिन शाम तक मैं भी सब्र तो करूंगी न। अब आप यहाँ लेटकर आराम करो। मैं आपके लिए खाना पानी लेकर आउंगी। आप सुबह उठकर तैयार होकर फेक्ट्री चले जाना, शाम को यही वापिस आ जाया करो। हफ्ता भर ऐसे ही करो फेर कुछ नया सोचेंगे।

कुछ ही पल में अजय के लिए मनी खाना लेकर उसके कमरे में आई। उस वक्त अजय बाथरूम में था। मनी ने खाने के लिए आवाज़ लगाई, “अजय खाना ठंडा हो रहा है जल्दी आओ।

अंदर से अजय ने आवाज़ दी, “मनी मैं टॉवल शायद बेड पर ही भूल गया हूँ। जरा देकर जाना प्लीज़।”

मनी ने देखा के सच में टॉवल बेड पर ही रह गया था। जब उसने टॉवल देने के लिए हाथ जरा सा अंदर किया, अजय ने बाजु पकड़कर उसे अंदर खीँच लिया। वो हड़बड़ा सी गयी, छोडो यार क्या कर रहे हो। बोला है न रात को जी भर के पकड़ लेना, अब कोई भी आ सकता है। सब्र भी कोई चीज़ होती है के नही।

मनी ने जरा सा डाँट दिया। इसपे अजय भी मायूस सा हो गया और उसको बाहर जाने का बोल दिया। मनी समझ गयी के वो बुरा मान गया है शायद। उसने अजय को समय की नज़ाकत समझने की रिक्वेस्ट की। परन्तु अजय नही माना, उसने चुप चाप कपड़े पहने और थाली में परोसा खाना खाने लगा। मनी ने कानो को हाथ लगाकर सॉरी बोला। वो कहते है न रुठने का भी एक अलग ही मज़ा है।

मनी समझ गयी इसका अभी दिमाग गर्म है। जब ठंडा होगा, खुद ही नॉर्मल हो जायेगा। जब अजय ने खाना खा लिया तो मनी जुठे बर्तन वापिस लेकर चली गयी और वो सो गया।

करीब 2-3 घण्टों बाद वो अजय के लिए चाय लेकर आई। वो भी अजय ने चुप चाप पी ली और मनी से कोई बात नही की। फेर वो उठकर बाहर मनी के मम्मी पापा के पास चला गया और उनसे जाकर बाते करने लगा।

मनी के माँ बाप ने उसे कहा के इसके लिए कोई और लड़का ढूंढने में हमारी मदद करो। जवान विधवा बेटी कब तक घर पे बिठाये रखेंगे। हमे तो इसकी टेंशन मे रात रात भर नींद नही आती। जिसकी वजह से हम दोनों डिप्रेशन में रहने लगे है। अब तो सोने के लिए भी गोलियों का सहारा लेना पड़ता है। अगर अच्छे से काम काज वाला लड़का तुम्हारी नजर में कोई हो तो बताना मनी का दुबारा घर बसा देगे।

उनकी बात सुनकर अजय थोडा इमोशनल सा हो गया और सुबह अपने द्वारा किये दुरव्यवहार के लिए खुद को दोषी मानने लगा। वो उठकर अंदर रसोई में मनी के पास गया। उस वक्त मनी शाम की सब्ज़ी के लिए प्याज काट रही थी।

उसने मनी को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसके कन्धे पे सिर रखकर अपने द्वारा किये दुरव्यहार के लिए माफ़ी मांगने लगा। मनी की भी आँखे भर आई। वो दोनो गले मिलकर कुछ पल तक रोते रहे। फेर समय की नज़ाकत को देखते हुए अलग होकर नॉर्मल हो गए। इतने में रात हो गयी।

मनी ने अपने माँ बाप को खाना खिलाया और उनको दवाई वगैरह देकर सुला दिया। फेर वो अपना और अजय का खाना पैक करके कमरे मे ले गयी। उन दोनों ने एक दूसरे को अपने हाथो से खाना खिलाया और कुछ देर बाते की।

फेर मनी जूठे बर्तन बाहर लेकर धोने के लिए ले आई। आधे घण्टे में सारा काम काज निपटाकर वो वापिस अजय के कमरे में वापिस आ गयी। अजय ने उसके अंदर आते ही दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया और उसे उठाकर बेड पर ले गया। दोनो का उत्शाह देखने लायक था।

जैसे ही अजय ने उसे बेड पे लिटाकर उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूमने चाहे। तो मनी ने मज़ाकिया लहज़े में कहा,” ये क्या कर रहे हो देवर जी। तो अजय ने भी आगे से जवाब दिया। वो भाभी आपके होंठो पे कुछ लगा हुआ है, वो हटा रहा था। इसपे दोनों की जोरदार हंसी निकल गयी। फेर एक दम मनी इमोशनल होकर रोने लगी।

अजय – अब क्या हुआ यार, अब किस बात के लिए रोना। अब तो मिल गए है न हम ।

मनी – ? रोना इस लिए के काश मेरा पति मुझे तुम जितना प्यार करता। तो मैं गैर मर्द के चक्र में न पड़ती। तुम्हारी वजह से ही मैंने माँ बाप को झूठ बोला के मेरा रिश्तेदार है। न तुम्हे छोड़ सकती हूँ न माँ बाप को सच बता सकती हूँ। अब तुमने सुना ही है न माँ बाप मेरे लिए नया लड़का ढूंढ रहे है। जिस दिन मिल गया वो मेरा ब्याह उससे कर देंगे और हम फेर बिछड़ जायेंगे।

अजय –(उसे गले लगाकर) – चुप होजा यार प्लीज़, जो किस्मत में है वही होकर रहता है। तुम्हारे पति ने तुमसे नाता तोडना था, मेरा तुम्हारी ज़िन्दगी में आना था। आज में विश्वाश रखो। कल किसने देखा है। मन में जो भी बात है बाहर निकाल दो। रिलैक्स होकर रहो कोई दिक्कत नही होगी ज़ीने में। बाकि मैं यहाँ हफ्ता भर तो रहुगा। मैं कोशिश करूँगा के तुम्हे मेरी वजह से कोई तकलीफ न उठानी पड़े!

बाते करते करते अजय की नज़र दीवार घड़ी पे गयी तो रात के 11.45 हो रहे थे। उसने समय को देखकर कहा,” जानू बहुत रात हो गयी है। चलो थोडा खेल ले, सुबह जल्दी उठकर काम पर भी जाना है। मनी ने भी समय की नज़ाकत समझी और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी।

कहानी का अगला पार्ट जल्द ही पढ़िए, सिर्फ देसी कहानी डॉट नेट पर!

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