Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan – Episode 4

This story is part of the Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan series

    करीब दो हफ्ते गुजर गए पर कमल को राज का कोई फ़ोन ना आया। कमल बेचैन था, क्यूंकि ऐसा कभी नहीं हुआ की राज दो या तीन दिन में कोई फ़ोन ना करे। कमल ने फ़ोन नहीं किया क्यूंकि उसे पता था की राज रानी के साथ व्यस्त होगा।

    तब फिर एक दिन अचानक ही राज का फ़ोन आया। राज ने सबसे पहले तो इतने दिन तक फ़ोन न करने के लिए माफ़ी मांगी और फिर तब तक का विस्तार पूर्वक विवरण दिया।

    राज ने कमल से कहा, “कमल भैया तुम तो यार कमाल के जादूगर हो। जैसा तूम ने बताया था, मैं रानी को बाहर घुमाने के लिए ले जाने लगा हूँ। पहले मैं खुद तो बाहर घूमता था और नए नए लोगों से मिलता रहता था। शाम को मैं जब घर लौटता तो “थक गया हूँ” कह कर या तो टीवी देखने लगता या तो अखबार पढ़ने। रानी बेचारी रसोई में लगी और घर में बैठ कर वही पुरानी घिसी पिटी जिंदगी जी रही थी। उसके लिए आज और कल में कोई भी फर्क नहीं था। मैं धीरे धीरे रानी को मेरे साथ शाम को बाहर खाने, तो कभी उसकी सहेलियों से मिलने, तो कभी क्लब में ले जाने लगा। मेरी बीबी में इस कारण जो परिवर्तन आया वह मुझे हैरान करने वाला था। रानी की मुस्कान लौट आने लगी। भैया वाकई फॉर्मूला जबरदस्त है।”

    कमल ने कहा, “मैं जैसा कहता हूँ ऐसा करते जाओ। देखो तुम्हारे जीवन में कैसे बहार लौट आती है। अब दुसरा कदम आगे बढ़ाओ। रानी को थोड़े भड़कीले कपडे पहनने का आग्रह करो। कोई उनको लाइन मारेगा तो वह कभी किसी को थोड़ी छूट भी देगी। चिंता मत करो, तुम्हारी बीबी तुम्हारी ही रहेगी। इस बिच तुम भी कभी कभी किसी की बीबी पर लाइन मारोगे तो रानी भाभी तुम्हें कुछ नहीं कहेगी।“

    राज ने कुछ निराशा से कहा, “भैया रानी बाहर जाने के लिए तो तैयार होती है, उसे सजधज ने का भी बड़ा शौक है पर आजकल वह अपने अंग प्रदर्शन करने से डरती है। कहती है, “अब मैं एक माँ बन गयी हूँ। यह सब मुझे शोभा नहीं देता। कॉलेज की बात और थी। ऐसे भड़कीले वेश में मुझे देख कर लोग हँसेंगे। कहेंगे बूढी घोड़ी जवान बनना चाहती है।”

    कमल ने हंसकर कहा, “तुम एक काम करो। तुम रानी से कहो की वह शादी के बाद तो और भी सुन्दर और सेक्सी हो गयी है। दूसरे मर्द रानी को देख कर हँसेंगे नहीं, उसे देखकर घूरेंगे और रानी के पति की यानी तेरी इर्षा करेंगे। कहेंगे यह साले बन्दर ने मोरनी को फाँस लिया। देखो राज यह सब कहने की बातें हैं। पर पत्नी को रिझाने के लिए यह बातें हैं बहुत जरुरी। रानी को कहना की तुम्हारे दोस्त तो अभी भी कहते हैं की भाभी शादी के बाद अब तो और भी सुन्दर लग रही है। देखो मेरे शब्दों का बुरा मत मानना, पर तुम रानी भाभी से स्पष्ट शब्दों में कहो की उनके स्तन, उनकी गांड और उनकी कमर, नाभि इत्यादि शादी के बाद तो और आकर्षक रूप से उभरे हैं और बड़े ही सेक्सी लग रहे हैं। उन्हें देखकर अच्छे अच्छों का लण्ड खड़ा हो जाता है। दूसरों को उन्हें देखने दो, जलने दो और तुम उसे एन्जॉय करो। अपनी बीबी से यह कहो की, “मेरी बीबी सब की बीबियों से ज्यादा सुन्दर लगनी चाहिए।”

    कमल की बात सुन राज हैरान रह गया, की उसकी बीबी के बदन के बारे में कमल कितनी सटीक जानकारी रखता था।

    खैर राज ने माना की पहले जब रानी ब्यूटी पार्लर जाने की बात कहती तो राज उसे कहता था, “बगैर मेकअप के ही तुम तो इतनी सुन्दर लग रही हो। जिसको तुम्हें पटाना था वह तो पट गया। अब ब्यूटी पार्लर जाने से क्या फर्क पडेगा?” और रानी निराश होकर ब्यूटी पार्लर जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर देती थी।

    पर अब राज ने तय किया की वह रानी को न सिर्फ ब्यूटी पार्लर जाने से नहीं रोकेगा बल्कि उसे प्रोत्साहित करेगा। राज ने कमल के इशारे पर प्लान का अमल करना शुरू कर दिया।

    एक दिन राज ने अपनी बीबी से पूछा, “डार्लिंग आज कल तुम ब्यूटी पार्लर क्यों नहीं जा रही?” तो रानी कुछ अजीब तरीके से राज की और देखने लगी।

    राज ने कहा, “तुम कितनी ज्यादा सुन्दर हो, यह तुम्हें नहीं पता। मैं चाहता हूँ यह सुंदरता मेकअप से और निखरे और मेरी बीबी का बदन पूरी दुनिया को ढंढेरा पिट पिट कर पूछे की “है मुझसे कोई और ज्यादा सुन्दर?”

    यह सुनकर रानी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे सज धज ने का शौक तो था ही। ऊपर से उसे पति का प्रोत्साहन मिला, तो वह जब भी कहीं जाने का प्रोग्राम बनता तो बड़ी खुश होकर पार्लर जाने लगी।

    आकर राज को सेक्सी पोज़ देकर पूछती, “मैं कैसी लग रही हूँ?”

    राज उसे बाहों में लेकर कहता, “वाह भाई। आज तुम्हें देखकर मेरे सारे दोस्त इर्षा से मुझसे जलेंगे। आज तो मेरी बीबी एकदम सेक्स की मूर्ति लग रही है। मुझे यही चिंता हो रही है की तुम्हे देखकर मेरे दोस्त मेरी और इशारा कर कहेंगे यार इस बन्दर को ऐसी सुन्दर मोरनी कैसे मिल गयी? इस पोज़ में तुमको देखकर अच्छे अच्छों का लण्ड खड़ा हो जाएगा, और उनका तुम्हें चोदने का मन करेगा। तुम्हें ऐसे देखकर मेरा भी तो मन कर रहा है मैं तुम्हें अभी, यहीं और इसी वक्त चोद डालूं।”

    रानी हमेशा उसकी बातें सुनकर खिल जाती और “धत्त, ज्यादा ड्रामा मत करो। ज़रा शर्म करो। धीरज रखो, रात को तुम खूब चोदना।” कह कर हंस पड़ती।

    फिर एक दिन राज ने कमल की कही दूसरी बात भी थोड़ी बढ़ाचढ़ा कर अपनी सुन्दर बीबी को कह ही डाली।

    राज ने रानी को कहा, “रानी डार्लिंग, तुम्हारे स्तन, तुम्हारी गांड और तुम्हारी कमर, नाभि इत्यादि शादी के बाद तो और आकर्षक रूप से उभरे हैं और बड़े ही सेक्सी लग रहे हैं। उन्हें देखकर अच्छे अच्छों का लण्ड खड़ा हो जाता है। मैंने तुम्हारी जितनी सुन्दर बीबी किसी की नहीं देखि। तुम्हें अगर मर्द लोग ताकते हैं तो उसे एन्जॉय करो। मैं तुम्हें सबसे ज्यादा सेक्सी देखना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की तुम जब भी मौक़ा मिले तो भड़कीले कपडे पहनो। मैं चाहता हूँ की गैर मर्द तुम्हें ताकें और तड़पें। वह लोग तो तुम्हारे बारे में सोच कर मुठ मारें और मैं उनपर तरस खाकर तुम्हें प्यार से चोदूँ।”

    धीरे धीरे राज की खूबसूरत बीबी रानी अपना रूप और सुंदरता को ऐसे सजाने लगी की सब देखते ही रह जाएँ। रानी को उसे खूबसूरत दिखाने की राज की चाहत बहुत भायी। वह सेक्सी वेश भी पहनने लगी।

    बल्कि कई बार वह अपनी नाभि के निचे तक साडी पहन के राज के साथ पार्टी में और मार्किट में भी गयी। जब लोग उसे लालच भरी नज़रों से देखते थे तो वह उसका मजा लेने लगी।

    राज जिस क्लब का सदस्य था उस क्लब में रानी को शाम को ले जाने लगा। रानी ने उसी क्लब की युवा महिलाओं से मिलकर एक महिला क्रिकेट टीम बनायी और वहाँ और बाहर की टीम के साथ खेलने लगीं।

    राज ने कमल से यह बात की, कमल बड़ा खुश हुआ और बोला की अगर रानी चाहे तो कमल उसे क्रिकेट के बारे में कुछ टिप्स दे सकता है।

    उन्ही दिनों में कमल का तीन दिन के लिए क्रिकेट खेलने के लिए अहमदाबाद आने का प्रोग्राम बना। रानी यह सुनकर ख़ुशी के मारे उछल पड़ी।

    उसने राज से कहा की राज कमल भैया को कहें की वह दो चार दिन उनके वहाँ आकर रुकें और रानी को क्रिकेट की कोचिंग दें।

    राज ने जब कमल से यह कहा तो कमल ने राज की बात मान ली और कमल का प्रोग्राम तय हो गया। कमल ने बताया की वह तीन दिन तक तो होटल में टीम के साथ रुकेगा पर चार दिन वह राज के साथ गुजारेगा।

    राज तो कमल के आने की खबर से मारे ख़ुशी के बाँवरा सा हो गया। उसने कमल भैया की आवभगत के लिए काफी तैयारी की और नया फर्नीचर, परदे, तौलिये और पता नहीं क्या क्या नयी चीज़ें खरीद लाया।

    राज का उत्साह देखकर उसकी की बीबी रानी हैरान रह गयी। वह जानती तो थी की कमल के लिए राज के मन में खूब प्रेम और सम्मान था, पर इस हद तक का प्रेम और उत्साह तो उसने पहली बार देखा।

    राज बार बार कहता, “कमल मेरा दोस्त नहीं, भाई भी नहीं, भगवान है। मैं उसके लिए जो भी करूँ कम है। उसने मुझे नयी जिंदगी दी है।”

    तीन दिन जब कमल मैच खेल रहा था तो रानी रोज मैच देखने जाती थी। कमल का प्रदर्शन बैटिंग और बोलिंग में सर्वोत्तम रहा।

    रानी रोज खेल के बाद थोड़ी देर के लिए कमल से जरूर मिलती और मिलकर उसे बधाई देती। मैच खतम होने के दूसरे दिन राज कमल को सुबह ही सुबह घर ले आया।

    कमल को जैसे ही घर में प्रवेश कराया की राज ने कमल की आरती उतारी, उसके पाँव खुद छुए और रानी से छूने को कहा। पर कमल ने राज की बीबी रानी को पाँव नहीं छूने दिया, बल्कि प्यार से गले लगाया।

    फिर राज ने कमल के ललाट पर तिलक लगाया, उसे जलपान कराया और सीधे ही अपने बैडरूम में ले जा कर थोड़ी देर लेट कर आराम करने को बाध्य किया।

    कमल के लेटते ही राज पलंग के ऊपर कमल के पाँव के पास बैठकर कमल के पाँव दबाने लगा। एक कोने में खड़ी खड़ी रानी अपने पति का ऐसा मित्र प्रेम देखती रही।

    राज ने अपनी बीबी रानी को अपने पास बिठाकर उसके कंधे पर एक हाथ रख कर कहा, “रानी डार्लिंग, कमल भैया मेरा सर्वस्व है। जैसा मैं तेरे लिए सबकुछ हूँ वैसे कमल भैया मेरे लिए सब कुछ है। उनकी इच्छा भी मेरे लिए आज्ञा सामान है।”

    पति की इतनी गहरी मित्र भक्ति देख कर रानी थोड़ी सी भावुक हो गयी और धीरे से राज के पास पलंग पर बैठ कर कमल का दुसरा पाँव अपनी गोद में लेकर उसे प्यार से दबाने लगी।

    कमल के मना करने पर भी वह नहीं मानी और जब तक कमल सो नहीं गया तब तक दोनों कमल की पाद सेवा करते रहे।

    कमल ने महसूस किया की बरबस ही उसकी नजर न चाहते हुए भी रानी के सुन्दर और कमनीय बदन पर चली जाती थी। कमल को भी ऐसा लगा की रानी भी शर्माते हुए अपनी नजरें निचीं कर हल्का सा मुस्का कर उसे कुछ कुछ प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्स) दे रही थी।

    जब कमल साथ होते तो रानी की बातें ख़तम ही नहीं होती थीं। वह कमल को उसके क्रिकेट के बारे में काफी पूछती रहती थी।

    उन चार दिनों में राज तो अपने ऑफिस चला जाता पर रानी रोज कमल को क्लब में ले जाती और कमल और रानी क्लब में क्रिकेट की प्रैक्टिस करते।

    कई बार जब क्लब में ज्यादा लोग ना होते तो कमल रानी के पीछे सट कर खड़ा रहता और कैसे बैटिंग करना है वह सिखाता। कई बार कमल रानी के पीछे खड़े होकर रानी की बाहें पीछे से पकड़ कर कैसे गेंद फेंकी जाती है वह दिखाता।

    उस समय कमल का लण्ड पतलून में खड़ा हो जाता और रानी को अच्छी तरह अपनी जाँघों के बिच में या फिर अपनी गाँड़ की दरार में कई बार कमल का लण्ड महसूस होता था।

    रानी जान गई थी की कमल बहुत उत्तेजित हो रहा था। बॉलिंग करते समय कैसे शरीर का संतुलन रखना चाहिए यह सिखाने के लिए कई बार कमल रानी के पीछे खड़ा होकर रानी की छाती पर अपने दोनों हाथ रख कर उसे सिखाता। ऐसा करते हुए उसे रानी के स्तनों को दबाने का पूरा मौक़ा मिलता।

    रानी शायद समझ गयी थी की कमल भैया सिखाने के साथ साथ उसके बदन का मजा ले रहे थे, पर वह कुछ नहीं बोलती। रानी कमल भैया की क्रिकेट खेलने की सूझबूझ और सिखाने की लगन से खुश थी। शायद रानी के मन में भी तो कुछ कुछ सेक्स की आग लगी हुई थी।

    उन चार दिनों में रानी कमल के साथ काफी कुछ घुलमिल गयी थी। अब वह पहले की तरह कमल से ज्यादा अतड़ी अलग सी नहीं रहती थी।

    रानी ने जाते समय कमल को रात ट्रैन में खाने के लिए खाना पैक कर दिया। जब कमल ने डिब्बा खोला तो उसमें से एक पर्ची निकली जिसमें लिखा था “हमारे घर आने का बहोत बहोत शुक्रिया। हमें भूल मत जाना और आते रहना।”

    कमल की समझ में नहीं आया की वह कोई ख़ास सन्देश था या फिर एक साधारण धन्यवाद।

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