Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 11

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    वाशरूम में मैंने कुछ मेकअप सा किया और अपने आपको सम्हालने की कोशिश की। पर जब मैं बाहर निकली तो योग को वहीँ खड़े हुए पाकर मैं कुछ लड़खड़ा सी गयी।

    वह मेरे बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। उसे वहीँ देखकर मैं गुस्से से तिलमिला उठी।

    मैंने चिल्लाकर सब सुने ऐसी आवाज में कहा, “आप अपने आपको समझते क्या हो? क्या आप कामदेव हो या कोई सुपर हीरो हो जो आपके ज़रा से इशारे पर सारी महिलायें आप के कदम चूमकर आपको आपके साथ एक रात एक बिस्तर पर गुजारने के लिए मिन्नतें करेंगीं?”

    मैं हैरान तब रह गयी जब योग ने मेरे जवाब में बड़ी ही धीरज और शान्ति से मेरे करीब आकर मेरे कानों में कहा, “सारी औरतें नहीं, मैं मात्र एक ही औरत को अपने बिस्तर में अपने साथ सुला कर बड़े ही प्यार से चोदना चाहता हूँ। और वह तुम हो। मेरी बात मानो प्रिया, मैं सचमुच में ही तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं तुमसे रात रात भर तुम्हारे साथ पलंग में चिपक कर प्यार से चोदना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम भी वही चाहती हो। वह बात अलग है तुम इस बात को स्वीकार करना नहीं चाहती हो।”

    योग के इस तरह के वर्ताव से मेरी धीरज और शुशीलता अब मेरे नियत्रण से बाहर जा चुकी थी।

    मैंने जोर से चिल्लाते हुए योग को कहा, “योग अब बहुत हो चुका। आप मेरे सीनियर हो और मैं आपका लिहाज करती हूँ इस लिए मैंने अब तक आपसे ज्यादा झिक झिक नहीं की। पर अब हद हो चुकी है। मैं आपको साफ़ साफ़ बता देना चाहती हूँ की मैं आपको चाहना तो दूर, देखना भी नहीं चाहती। मैं आपसे नफ़रत करती हूँ। मैं आपका करियर बर्बाद करना नहीं चाहती इस लिए मैं आपको पहले से चेतावनी देती हूँ की अगर आपने आगे से कोई ऐसी वैसी हरकत की तो मैं आपके विरुद्ध मुझे छेड़ने की और परेशान करने की उच्च स्तर पर शिकायत करुँगी। और हाँ, आप इसे खोखली गीदड़ भभकी समझ ने की गलती मत करियेगा।”

    मैंने पहेली बार योग के चेहरे पर निराशा, गंभीरता और दुःख के स्पष्ट भाव देखे। शायद उन्हें मुझसे यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने शायद यह सोचा होगा की उन की करतूतों से प्रभावित हो कर मैं उनसे कहूँगी, “ठीक है, चलो बोलो कहाँ चलें? आप के घर या मेरे?”

    शायद न का यह फार्मूला दूसरी लड़कियों के साथ चला होगा। उन्हें दूसरी लड़कियों या महिलाओं से सकारात्मक जवाब मिला होगा। पर मैं दूसरी काठी की औरत थी।

    पर फिर मेरे मन ने मुझसे कहा, “अरे बेवकूफ, क्यों अपने आपको धोखा दे रही हो? वाकई मैं तो अंदर से तुम भी तो उनकी बाहों में जाने के लिए मचल रही हो।”

    मैंने योग के सामने देखा। उनके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे मैंने सब के सामने ही उसे एक थप्पड़ मारा हो। वह बहुत दुखी और निराश लग रहे थे। शायद मैंने उनका दिल तोड़ दिया था। मुझे भी बुरा लगा। मुझे लगा की मुझे ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था।

    योग को उस हाल में देख कर मैं भी बहुत दुखी हो गयी। मेरा मन किया की मैं दौड़कर उनकी बाँहों में चली जाऊं और उन्हें अपने बाहु पाश में जकड कर कहूं, “मेरे प्राण, मुझे पागल मत बनाओ। मुझे भी तुमसे चिपक कर पूरी रात भर प्यार से चुदवाने का बहुत मन है।”

    यह सोचते ही मेरी जाँघों के बिच में से मेरे प्यार का रस रिसना शुरू हो गया। मेरी टाँगें कमजोर पड़ने लगीं। योग ने मेरी और देखा। उन्होंने मेर चेरे के भाव देखे। शायद योग मेरे मन के भाव पढ़ने में माहिर थे। वह उनकी वही लोलुपता भरी मुस्कान से मुस्करा दिया।

    पर उस बार मैंने महसूस किया की उनमें पहले जितना आत्मविश्वास नजर नहीं आ रहा था। मैं वहाँ से चुपचाप योग की और देखे बिना बाहर निकल गयी और योग वहीँ मेरे पीछे देखते रहे।

    मेरे योग के प्रति ऐसे आक्रामक वर्ताव से मैं अपने आप पर नाराज हो गयी। मैंने सोचा, अच्छा होता की मैं योग की मुझे उकसाने वाली बातों का कोई जवाब ना देती और चुप ही रहती।

    योग तो ऐसे ही थे। मेरे कुछ कहने या करने से वह सुधरने वाले नहीं थे। आखिर वह मेरे सीनियर और बड़े ही काबिल साथीदार थे।

    क्या पता आज नहीं तो कल अगर मुझे उनसे कोई मदद चाहिए तो मुझे उनके पास जाना ही पडेगा। उनके साथ सम्बन्ध बिगाड़ने में मुझे कोई फायदा नज़र नहीं आया। पर तीर कमान से निकल चुका था।

    मैं मन ही मन प्रभु से प्राथना कर रही थी की ऐसा ना हो की मुझे उनके पास कोई मदद मांगने जाना पड़े। पर कहते हैं ना की आप जिससे डरते हो वह समस्या आपके सामने जरूर जल्द आ खड़ी होती ही है।

    हुआ कुछ ऐसा की मैं और मेरी टीम ने एक व्यावसायिक औद्योगिक सॉफ्टवेयर प्रोगैम डिज़ाइन किया हुआ था जो टेस्ट पास हो चुका था। हमारी कंपनी के मार्केटिंग डिपार्टमेंट ने उसे सफल होने योग्य करार भी दे दिया था।

    उनका मानना था की यह प्रोग्राम जब मार्किट में रिलीज़ होगा तो उसे जबरदस्त रिस्पांस मिलेगा और कंपनी को वह अच्छी खासी आमदन प्राप्त करा सकता था। उस प्रोगैम को मुझे तुरंत ही लॉंच करना था। पर एक समस्या थी।

    उस प्रोग्राम का कंप्यूटर के साथ कॉन्फ़िगर करने के लिए जो एप्प चाहिए था वह हमारी कंपनी में ही योग ने डेवेलोप किया था।

    तो मुझे योग के पास जाकर उसे वह एप्प मुझे मुहैया कराने के लिए बिनती करने के लिए जाना पडेगा ऐसी स्थिति आ गयी। चाहती तो वह एप्प मैं भी डेवेलोप कर सकती थी। पर मेरे पास समय नहीं था। कंपनी चाहती थी की मेरा प्रोग्राम उसी महीने में लॉन्च हो।

    इसके लिए उन्होंने विज्ञापन आदि की भी व्यवस्था कर रखी थी। जब हमारी ही कंपनी में वह एप्प तैयार था तो भला मैं उसे दुबारा बनाने की जेहमत क्यों करूँ? उसमें समय भी लगेगा और कंपनी का पैसा भी खर्च होगा।

    चूँकि मैं योग पास सीधा जाने में झिझक रही थी, इसलिए मैंने हमारे ग्रुप वाइस प्रेजिडेंट से कहा की वह योग को कहे की जो एप्प मुझे चाहिए उसे मुझे मुहैय्या कराए।

    तब मुझे उन्होंने बड़ी विनम्रता से पर साफ़ साफ़ कह दिया की योग इस समय बहुत जरुरी और ख़ास प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक ना होगा। हाँ अगर योग अपने आप मेरी मदद करना चाहे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी।

    उन्होंने सुझाव दिया की ऐसे मामले में मुझे सीधा योग से बातचीत करके योग की मदद लेनी चाहिए। भला योग क्यों हमारी मदद नहीं करेंगे? वाईस प्रेजिडेंट ने कहा वह इस बात में बिच में पड़ना नहीं चाहते।

    मैंने फिर सोच कर योग को एक आधिकारिक ईमेल भेजी जिस में योग को मदद के लिए मैंने रिक्वेस्ट की। मुझे तुरंत योग से आधिकारिक चिट्ठी का जवाब मिला की वह बहुत ही व्यस्त थे और अभी वह मेरे काम के लिए समय नहीं दे सकते।

    मैं जानती थी की अगर योग चाहे तो समय दे सकते थे। पर शायद उन्हें मुझसे उसक अपमान का बदला लेना था। मैंने दुबारा उन्हें ऑफिसियल चिट्ठी लिखी।

    मैंने उसमें बताया की हमारा प्रोजेक्ट कंपनी के लिए कितना फायदेमंद था और उस लिए उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए।

    उसके जवाब में उन्होंने मुझे फ़ोन किया और दो ही मिनट में कह दिया की उनके पास समय नहीं और मुझे इस लिए वाईस प्रेजिडेंट से बात करनी चाहिए।

    वाईस प्रेजिडेंट से तो मैं बात कर ही चुकी थी। योग के ऐसे घमंडने मुझे परेशानी में डाल दिया। योग फालतू में ही अपना वर्चस्व दिखाना चाहते थे।

    हाँ यह बात सही की वह हमारी कंपनी के एक अग्रिम काबिल डिज़ाइनर थे और सफलता की बात करें तो उनके नाम कई मानक दर्ज थे। पर उतनी ही यह बात भी सही थी की वह मुझे एक काबिल प्रोग्राम डिज़ाइनर नहीं मानते थे। शायद उन्हें कोई भी महिला टीम लीडर बने यह गवारा न था।

    वह शायद यह मानते थे की मैं (अथवा कोई भी महिला) ने उस दिन तक जो भी कामयाबी हासिल की थी वह मेरी (या उन सब महिलाओं की) टांगों के बिच में छुपी हमारी योनि के कारण थी।

    एक स्टाफ की लड़की ने मुझे मेरे कानों में बताया था की एक बार नशे की हालत में योग उसे कह रहे थे की योग की ख्वाहिश थी की मौक़ा मिलने पर वह एक ना एक दिन मेरी टांगों के बिच में अपनी जगह जरूर बना लेंगे। ऐसी नीच और घटिया मानसिकता वाले व्यक्ति से मैं कैसे समझौता करूँ? यह मेरी समस्या थी।

    जब उस लड़की से मैंने सूना की योग मुझे चोदने की प्रबल ख्वाहिश रखते थे तो मेरी पुरे बदन में एक जबरदस्त सिहरन फ़ैल उठी। मेरी टाँगों में रस रिसना शुरू हो गया। कहीं न कहीं मेरे जहन में भी तो यही इच्छा थी।

    कुछ समय पहले योग के पीछे कई लडकियां फ़िदा थी। मैंने सूना था की योग पहले उन लड़कियों को लिफ्ट देते थे और शायद कईयों को चोद भी चुके होंगे।

    कई लड़कियों ने मुझसे कुबूल भी किया की योग ने उन्हें चोदा था। हमारे दफ्तर में चोरी छुपके यह अफवाह चली थी की जब से मैंने उस कंपनी में ज्वाइन किया तब से योग ने वह सब लफंडर बाजी छोड़ दी थी।

    उनमें से कुछ लडकियां मुझे ताने मारती थी की “अब तुम आ गयी हो तो योग ने हमसे बात करना भी बंद कर दिया है।” मैं हैरान थी की ऐसे अभिमानी आदमी के साथ कैसे लडकियां सोना पसंद करती थीं।

    पर खैर मेरे पास तब यह सब कुछ सोचने का समय नहीं था। मुझे मेरे प्रोग्राम को सही समय पर लॉन्च करना ही था। उसमें शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी।

    मैं अच्छी फँसी थी। इधर कुआं तो उधर खाई। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, तब योग की साथीदार एक लड़की मेरे ऑफिस में आयी। बातों बातों में मैंने उसे अपनी लाचारी बतायी की मुझे योग की मदद चाहिए पर वह है की मदद करने को राजी ही नहीं थे।

    तब वह लड़की मेरे पास आयी और उसने मेरे कानों में कहा, “प्रिया मुझे तुम्हारी समस्या का भली भाँती पता है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। योग सर तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।”

    जब मैंने उसे पूछा की उसे कैसे पता की योग मेरी मदद करेंगे?

    तो वह लड़की ने कहा, “मुझे खुद योग सर ने कहा की वह आपकी मदद जरूर करते। पर आपके अड़ियल और तीखे रवैय्ये से वह नाराज हैं। अगर आप प्यार और नरमी से पेश आएंगे और उनकी और थोड़ा रियायती रवैया दिखा कर उनसे रिक्वेस्ट करोगे तो वह जरूर आपकी मदद करेंगे। योग सर कुछ जिद्दी और बोलने में उद्दंड जरूर हैं, पर दिल के बहुत अच्छे हैं।” यह कह कर वह लड़की मेरी और देख कर शरारती तरीके से आँख मटक कर चली गयी।

    मुझे शक हुआ की कहीं योग सर ने खुद ही उस लड़की द्वारा यह सन्देश तो नहीं भेजा था? दूसरा मैं समझ गयी की रियायती रवैय्या से उस लड़की का इशारा था की यदि योग सर मुझे मदद करने के बदले में चोदने की शर्त रखे तो मुझे कोई आपत्ति नहीं जतानी चाहिए। वाह भाई वाह!! मदद करने का यह एक अच्छा तरिका था।

    पर मैं क्या करती? एक और मेरी मज़बूरी थी की मुझे हर हालत में मेरा प्रोग्राम ख़तम करना था जिसमें मुझे योग की मदद चाहिए थी, तो दूसरी और उस लड़की ने योग से चुदवाने का इशारा किया तो मेरी तो जैसे हालत ही खराब हो गयी। मेरे पुरे बदन में रोमांच से कम्पन फ़ैल गया। मेरी चूत गीली हो गयी और मेरी निप्पलेँ जैसे योग की उँगलियों से खेलने के लिए मचल कर फूल उठीं।

    तो मेरा दिमाग बोल उठा, “अरे लड़की, तू तो योग को सबक सिखाना चाहती थीं ना? तो अब क्या हो गया?”

    काफी कुछ गुथम गुत्थी के बाद मैंने तय किया की आखिर में साँढ़ को सींग से पकड़ना ही पडेगा। योग से आमने सामने हुए बगैर बात बनेगी नहीं।

    मैंने मन ही मन पक्का इरादा कर लिया की कुछ भी हो जाय मैं ऐसे इंसान को कभी भी अपना बदन सौंप नहीं सकती। पर मैं उसे मिलूंगी जरूर और उसे दिखाउंगी की मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ। मैं अपने इरादे में सुद्रढ़ रहूंगी।

    यह तय कर मैंने योग से फ़ोन पर शाम को कॉफी शॉप में मिलने का प्रोग्राम बनाया। योग मुझ से मिलने को राजी हो गए।

    पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी..

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