Rahul Ka Badla – Part 1

हलो मित्रो आपका दोस्त दीप पंजाबी एक नई कहानी लेकर फेर हाज़िर है।

पिछले हफ्ते प्रकाशित हुई कहानी “एक रात की दुल्हन” पढ़कर बहुत से दोस्तों के मेल आये। सबने कहानी के बारे में अपनी अपनी राय दी। उनमे से एक मेल मध्यप्रदेश के ग्वालियर से इस साईट के एक निम्न श्रोता का भी मिला। जिसमे कहानी की राय देने के बाद उसने निवेदन किया के उसके पास एक परिवारक सेक्स की एक सच्ची कहानी है।

जिसे वो देसी कहानी डॉट नेट के ज़रिये आम लोगो में बांटना चाहता है। उसका नाम यहाँ गुप्त ही रख रहा हूँ, क्योंके मेने उससे वादा जो किया था पूरी कहानी में आपका असली नाम नही लूंगा। कहानी को अच्छी तरह से समझने के लिए उसका नाम राहुल रख देते है।

सो आगे कहानी राहुल की ज़ुबानी…

ये बात आज से 7 साल पहले की है। जब मध्यप्रदेश के दो अलग अलग गांवो के राहुल और उसकी बुआ का लड़का रोहित दोनों एक ही क्लास में पढते थे। अब दोनों का परिचय भी करवा दूं। राहुल की उम्र 22 साल और रोहित की उम्र 25 साल, दोनों कद काठी के लम्बे, गोरे रंग और कसरती शरीर वाले नौजवान है। दोनों इक्कठे एक ही कक्षा की पढ़ाई करने की वजह से छूटी वाले दिन एक दूसरे के घर चले जाते थे।

दोनों अपने दिल की अच्छी बुरी बात एक दूसरे से शेयर कर लेते थे, पूरा दिन क्लास में भी किसी लड़की की बाते करना, उसे किस पोज़ में चोदना है, उस समय कैसा मुँह बनाएगी, दर्द होने पे कैसे चिलायेगी, कैसे रोयेगी, कैसे मना करेगी, उसका नंगा बदन कैसा होगा आदि सब बातो को कॉपी करते और ठहाका लगाकर हस पड़ते। ऐसे ही ख्याली पुलाव पकाते पकाते उन्हें पता नही लगा कब उनकी कल्पना की उड़ान क्लास से उड़कर उनके रिश्तेदारी एवम् परिवार में आ गयी। दोनो दोस्त काम वासना में इतने अंधे हो गए के अपनी रिश्तेदारियों की सभी स्त्रियों को ख्यालो में चोदने की प्लानिंग करने लगे।

एक दिन की बात है के स्कूल में छूटी की वजह से रोहित, राहुल के घर यानि के अपने नौनिहाल आता है। राहुल की माँ आशा रानी जो के एक हाउसवाइफ है और रिश्ते में रोहित की मामी भी है। उसकी उम्र 40 साल के करीब थी।

वो जैसे ही नहाकर बाथरूम से बाहर निकली तो ब्रा और पैंटी में, ऊपर से तौलिया लपेटे हुई थी और भाग कर अपने कमरे की तरफ जा रही थी। इतने में रोहित का बाथरूम में पेशाब करने आना हुआ।

दोनों आपस में भिड़ गए तो उसकी मामी का लपेटा हुआ तौलिया खुल गया और वो तौलिया सम्भालती सम्भालती खुद गिर पड़ी । रोहित की तो जैसी किस्मत खुल गयी। उसकी आँखे मामी के सुडोल बदन को घूर घूर कर देखे जा रही थी।

जिसका मामी को भी पता चल चूका था। वो खुद का तौलिया ठीक करते हुए थोडा गुस्से से बोली” देख कर नही चल सकते क्या तुम, इतनी भी क्या जल्दी थी जो 6 फ़ीट की औरत नही दिखी ? अब आँखे फाड़ फाड़ कर क्या देख रहे हो, हाथ पकडाओ और मुझे उठने में मदद करो?
ध्यान किधर था तेरा ?

रोहित – (हाथ बढ़ाते हुए ) – सॉरी मामी जी वो पेशाब का प्रेशर ज्यादा होने की वजह से गौर नही किया के आप आगे आ रहे हो नहो तो भूल कर भी आपके रास्ते में न आता। अब माफ़ करदो आगे से ऐसा नही होगा।

मामी बड़बड़ाती उठ कर अपनी कमर मटकाती आपने कमरे में चली गयी और रोहित उसकी मटकती गांड देखता रह गया और पेशाब करने चला गया। बस उसी दिन से उसकी कल्पना की दुनिया में एक और स्त्री यानि की उसकी अपनी आशा मामी भी जुड़ गयी।

रोहित सोते जागते बस उसी के ख्यालो में खोया रहता। ऐसे ही एक दिन क्लास में बैठे बैठे रोहित कही खोया हुआ था, तो राहुल ने बोला,” क्यों बे साले किसकी यादो में खोया हुआ है, सुल्तानपुर वाली भाभी या बीकानेर वाली मौसी, दोनों ने ठहाका लगाया और हसने लगे।

रोहित – नही यर इस बार एक नई मछली नज़र में आई है, पर तुझे नही बताउगा क्योंके तू उसे बखूबी जानता है और मेरा बनता काम बिगड़ देगा। इस लिए तुझे कोई हिंट भी नही दूंगा।

राहुल — बोल न यार कौन है, जिसे मैं जानता हूँ? मेरी नज़र में कोई ऐसी मछली नही है। जिसका हमने आज तक जिक्र न किया हो।

(अब उसे क्या पता, के उसकी ही माँ को चोदने की प्लानिंग बन रही है)

रोहित — ह्म्म्म…. कोई भी नही है. छोड़ यर कोई और बात करते है।

राहुल – नही पहले बताओ मुझे।

रोहित — नही यर कुछ नही बस ऐसे ही मज़ाक में बोल दिया मेने तो।

और बात टाल दी!

एक दिन राहुल को बुखार था तो वो पूरा दिन स्कूल नही गया। उसी दिन स्कूल से आते वक़्त रोहित ने राहुल का पता जानने के लिए उसके घर की तरफ आने वाली स्कूल वैन पकड़ ली ओर घर आकर अपने घर फोन कर दिया के आज रात यही रुकेगा सो फ़िक्र न करना। उसी रात राहुल के पापा अश्वनी कुमार को दफ्तर के कामकाज के सिलसिले में दिल्ली जाना था।

तो वो रोहित से बोले,” अच्छा हुआ रोहित बेटा तू आ गया। मेरी एक चिंता तो खत्म हुई। अब मैं असानी से जा सकूँगा। मुझे तो अब जाना पड़ेगा तू राहुल, अपनी मामी और घर का ख्याल रखना, मैं बस एक दो दिन तक वापिस आजाऊँगा। तब तक यही रुकना, फेर थोड़ी देर बाद राहुल के पापा अपने काम पे चले गए। अब घर में राहुल, रोहित और उसकी मामी यानि राहुल की माँ तीनो रह गए।

सबने मिलकर खाना खाया और सोने की तयारी करने लगे। राहुल को बुखार था तो उसकी माँ ने उसे अपने पास ही सुला लिया और रोहित को भी अपने पास सोने का आग्रह किया। रोहित के पैर ख़ुशी से ज़मीन पर नही लग रहे थे। क्योंके उसे अपने ख्यालों की रानी के साथ सोने का मौका जो मिल रहा था। एक डबल बेड पे तीनो जने सोये हुए थे।

सबसे आगे की तरफ राहुल, फेर बीच में उसकी माँ और फेर उसके पीछे रोहित। रात को आशा नाइट सूट पहनती थी। कुछ देर बाते करने के बाद जब तीनो गहरी नींद में सोये हुए थे तो रोहित बाथरूम जाने के लिए उठा। जब वापिस आया उसके दिमाग में आया क्यों न एक बार ट्राई करके देखा जाये। शयद जाल सही फेंका गया तो मछली सदा के लिए अपनी बन सकती है।

उसने अँधेरे का फायदा उठाते हुए ही अपनी मामी के साथ लिप्ट गया और ऐसे करने लगा जेसे के सब नींद में हुआ हो। जब आगे से कोई विरोध नही हुआ फेर उसने हिम्मत करके अपना हाथ मामी के मम्मो पे रख दिया। जब फेर कोई विरोध न हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ती गयी और उसने कपड़ो के ऊपर से ही धीरे धीरे मम्मो को दबाने लगा।

जिस से उसको बड़ा मज़ा आने लगा। फेर हिम्मत करके गालों को चूमने लगा, फेर पेट से कपड़ा उठाकर, पेट को सहलाने लगा। इतने में मामी ने अपनी साइड बदल ली, अब रोहित की तरफ मामी की गांड हो गयी। उसने धीरे से गांड के ऊपर से नाइटी उठाई और गांड सहलाने लगा और अपना लण्ड निकाल कर कपड़ो के ऊपर से ही मामी की गांड में घुसाने लगा और थोड़ी देर बाद इसने मामी के कपड़ो पर ही वीर्य निकाल दिया और अपने कपड़े ठीक करके सो गया।

सुबह जब उठा तो मामी का नार्मल व्यवहार देखकर उसकी जान में जान आई। उसे लगा के यदि मामी को पता चला होता तो मुझे डाँटती भी, इधर डाँटना तो दूर की बात, हंस हंस कर बात कर रही है। लगता है तीर सही जगह पर लगा है। या तो उसे पता ही नही लगा। या फेर ऐसा भी हो सकता है उसे पता चल गया हो और उसे मेरा ऐसा करना अच्छा लगा हो।

वैसे भी राहुल के पापा बाहर ही रहते है, अपना काम आसानी से बन जायेगा और कोई शक भी नही करेगा। इसी गलतफैमी में वो आगे बढ़ता जा रहा था। अब अगले दिन राहुल भी ठीक हो चूका था सो दोनों तैयार होकर स्कूल चले गए।

फेर एक महीने बाद की बात है के एक बार रविवार के दिन सुबह ही रोहित, राहुल के घर उससे मिलने आ गया। तब राहुल और उसके पापा सैर करने गए थे। बस आशा रानी के इलावा घर में कोई नही था। सो अकेली होने की वजह से खिड़की, दरवाज़े बन्द करने की ज्यादा जरूरत नही समझी । इधर रोहित ने घर के अंदर आते ही आवाज़ दी, ओऐ राहुल किधर है तू, बाहर आ।

आगे से कोई जवाब नही आया, एक दो आवाज़ फेर दी पर इस बार भी कोई नही बोला।

सोचने लगा इतनी सुबह सुबह सब किधर चले गए। जब राहुल के कमरे की तरफ जाने लगा तो क्या देखता है, उनके घर के बाथरूम से पानी चलने की आवाज़ आ रही है और बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ है। उसने सोचा कौन है जो दरवाजा खोलकर नहा रहा है।

जब उसने दरवाजे की तरफ नज़र मारी तो क्या देखा के उसकी मामी बाथरूम में नहाकर वही खड़ी होकर पेटीकोट पहन रही है और अब कमर तक पेटीकोट उठाया हुआ है, और दाईं टांग उठाकर पेंटी पहन रही है, उसका पतला स्पॉट पेट, अंदर धँसी हुई नाभि और उसकी चूत पे घने घुंगराले काले बालो का गुच्छा उगा हुआ है।

वो अपने काम पे इतनी डूबी हुई ऐ उसे पता ही नही चला के कोई उसे देख भी रहा है। रोहित एक दीवार के पीछे छिप कर मामी को निहारने लगा और उसके दिमाग पे इस दृश्य का ऐसा असर हुआ के वो अपना लण्ड निकाल कर मुठ मारने लगा और करीब 5-7 मिनट बाद एक लम्बी आह्ह्ह्ह से दिवार पे ही झड़ गया।

जिस से उसकी मामी का ध्यान भी अपनी तरफ से टूट गया और उसकी तरफ देखने लगी। अभी भी सिर्फ उसने पेंटी पहनी थी। रोहित को इस हाल में देख कर मामी के गुस्से का ज्वालामुखी फट गया और बोली,” रोहित यह क्या बेहुदा हरकत है। शर्म आनी चाहिए तुझे, मामी हूँ तेरी मैं, कोई गर्लफ्रेंड या रंडी नही जिसे अपना काला लण्ड दिखा रहा है। आज आने दो तेरे मामा और राहुल को सब बताती हूँ के इसके दिमाग में क्या चल रहा है आजकल। उस दिन रात को तुमने जो किया मुझे सब पता है। मैं तेरा मुँह उसी वक़्त भी तोड़ सकती थी। पर मैंने यह सोचकर माफ़ कर दिया चलो आगे से शायद सुधर जायेगा।

मामी का यह रूप देख कर रोहित डर गया और जल्दी से ज़िप बन्द करके मामी की तरफ भाग कर आया और उसके पैरी हाथ लगा कर माफ़ी मांगने लगा। मामी जी क्षमा करदो, बस नादानी में हो गया ऐसा। किसी को कुछ न बताना वरना मेरी बहुत बेजती होगी। राहुल क्या सोचेगा मेरे बारे में।

मामी — ये तो पहले सोचना चाहिए था तुझे ?

राहुल – प्लीज़ मामी आखरी बार छोड़ दो, आगे से शिकायत का मौका नही दूंगा। आप चाहो तो आपके घर भी नही आउगा पर इस बार मेरी लाज रखलो।

मामी — चलो जाओ यहाँ से कपड़े पहन कर आती हूँ । तुझसे तो आकर बात करती हूँ ।

अब रोहित का वो हाल था के काटो तो खून नही।

अपने इष्ट देवी देवता को याद क्र रहा था। हे भगवान आज जान छुड़वा दो, मेरी तौबा, मेरे बाप की तौबा आगे से ऐसा काम कभी भी नही करूँगा।

जब मामी कपड़े पहन कर उसके पास आई तो थोड़ा गुस्सा दिखाकर बोली,” हाँ अब बोलो क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी?

मैं क्या तुझे दिल्ली के जीबी रोड की रण्डी लगती हूँ। जो तेरी तरफ काला लण्ड देख कर भागी आउंगी।

रोहित (गिड़गिड़ाते हुए ) – मामी जी कृपया एक बार माफ़ करदो, आइन्दा ऐसी गलती भूल कर भी नही होगी।

अब रोहित की पतली हालात देख कर मामी को उस पे तरस आ गया और थोड़ा अपना मूड बदल कर उसे पैरों से उठाकर बोली,” देख बेटा रोहित, जैसा मुझे राहुल प्यारा है वैसे ही तू भी प्यारा है। शुरू से ही माँ बाप बच्चों की छोटी बड़ी गलतिया माफ़ करते आये है पर इसका मतलब यह भी नही है के आपकी हर नज़ायज़ गलती माफ़ हो। आज तूने जो किया, मैं तो क्या कोई भी पतिव्रता स्त्री माफ़ नही करेगी। वो भी रिश्तेदारी का लिहाज़ जान कर तुझे एक मौका सुधरने का और देती हूँ। सुधर जा नही तो बहुत देर हो जायेगी और हर बार माफ़ी नही मिलेगी।
खैर छोडो इन बातो को आओ बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।

रोहित सोफे पे बैठ गया। करीब 10 मिनट बाद राहुल और उसके पापा वापिस आ गए। सबने मिलकर चाय पी और राहुल और रोहित बाहर खेलने चले गए।

पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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