Chamatkaari Baba, Ek Number Ka Chodu – Part 2

गीता ने जैसे ही ऑखें खोली, वो दंग रह गई. रजनी एकदम शांत पडी थी और अब भी नंगी थी.

मैने गीता से कहा – गीता अब ये ठीक है तुम इसको आवाज दो.

गीता ने रजनी को आवाज दी तो रजनी ने भी आराम से जबाब दिया, मगर गीता पर अब भांग का असर दिखने लगा था.

गीता – बाबा मेरा सर चकरा रहा है और बेचैनी हो रही है ये मुझे क्या हो रहा है?

मैने गीता से कहा – तुम पर प्रेत का असर हो रहा है वो तुम्हारी चुत के रास्ते से तुम पर सवार हो रहा है मैने कहा था ना सब छेद बंद रखना.

गीता – बाबा अब क्या होगा?

मैने कहा – हम हैं ना तुम चिन्ता मत करो तुम रजनी को कमरे में छोड कर आओ.

गीता ने जल्दी से रजनी को कमरे मे पहुचा कर बाहर से गेट बंद कर दिया और मेरे पास आ गई.

मैने गीता को कलावा देकर कहा – इसे गेट पर बांध दो ताकी अब रजनी के पास कोई बुरी शक्ति न जा सके.

गीता ने वैसा ही किया और वापस आकर मेरे पास बैठ गई.

मैं फिर से मंत्र पढ़ने लगा और गीता से कहा – तुम मेरे पास आओ – गीता मेरी हर बात मान रही थी.

गीता जैसे ही मेरे पास बैठी मैने सिंदुर लेकर हाथ आगे बढाकर गीता को आगे से साड़ी हटाने के लिए कहा, गीता ने साडी हटा दी. अब गीता के दोनों सीने मेरे सामने नंगे थे, मैने सिंदुर का टिका गीता के चुचों पे लगा दिया.

गीता भंग के नशे मे कसमसा रही थी मगर कुछ कह नही रही थी, क्योकि उसे मुझ पर अब पुरा यकीन हो गया था, रजनी के ठीक होने के बाद से..

मैके का फायदा उठा कर मैने गीता को साड़ी उतारने के लिए कहा, गीता ने एक पल मे साड़ी उतार कर एक तरफ़ रख दी.

अब गीता मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी थी, उसे देखते ही मेरे लंड़ ने भी गर्दन उठा ली और मेरी धोती का उभार गीता को साफ नज़र आ रहा था.

मैने गीता को जमीन पर लिटा दिया और रोली सिंदुर और घी का लेप बना कर गीता के शरीर पर मंत्रों के साथ टिके लगाने लगा, धीरे धीरे टिके लगाते हुऐ मेरे हाथ गीता की चुचीयों पे से होते हुऐ कब उसकी चुत पर पहुच गये मुझे पता भी नही चला, गीता ने कुछ भी नही कहा.

अब मेरी अंगुलियां गीता की चुत मे अंदर तक चल रहीं थी, गीता मदहोशी से अहा उह कर रही थी. अचानक गीता को क्या हुआ कि उसने आगे बढकर मेरी धोती की गांठ खोल दी मेरा 9 इंच लम्बा लंड़ गीता के आगे खड़ा होकर सलामी देने लगा.

गीता पे भंग का खुमार कुछ इस तरह चढ़ा की उसने आगे बढ़ कर मे लंड़ पर अपने होठ रख दिये और बडे प्यार के साथ मेरे लंड़ को चुसने लगी.

मुझे उम्मीद भी नही थी कि ये सब इतनी जल्दी हो जायेगा.

इधर गीता मेरे लंड़ को चुस रही थी, मैने भी अपने होठ गीता की चुची पे रख दिये और अपने दांत गीता की बांई चुची मे गढाने लगा,
गीता के मुह से सी की आवाज़ निकलने लगी.

धीरे धीरे मेरा मुंह गीता की चुत की तरफ अग्रसर हो गया.

गीता की चुत पर पहुच कर मैने उसकी चुत पर काट लिया, उस पर भंग के चढते खुमार के कारण उसके मुह से बड़ी प्यारी सी सिस्की निकली और शरारती जबाव मे गीता ने भी मेरे लंड़ पर काट लिया. बड़ा ही मादक माहौल बन चुका था, वहां पर मुझे बहुत ही मजा आ रहा था.

अचानक गीता उठ कर मेरे लंड़ पर बैठ गई और एक ही झटके में मेरा पूरा का पूरा लंड जड़ तक गीता की चुत मे समा गया.

गीता बुरी तरह से तडफने लगी, मैने भी गीता की कमर पकड़ कर धक्के लगाने चालू कर दिये, गीता उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थी.

देखने मे ऐसा लग रहा था जैसे गीता मुझे चोद रही थी, लेकिन दोस्तो मेरी किस्मत की बात तो देखा अगर सब कुछ अच्छे से हो जाये तो क्या मजा?

अचानक गीता पर चढा भंग का नशा खत्म हो गया और वो खुद को मुझसे दुर करने लगी और गाली बकने लगी.

मैने गीता को उठाकर जमीन पर पटक दिया और बडी बडी ऑखे निकाल कर कुछ बडबडाने लगा और फिर से एक झटके मे पूरा लंड गीता की चुत मे ठोक दिया और झटके लगाने लगा, गीता बुरी तरह से तडफने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.

मैने अपने धक्कों की रफ्तार और तेज कर दी.

अब गीता की तडफ सिसकियों मे बदल चुकी थी.

गीता भी अब फिर से मेरा साथ देने लगी.

मैने दम लगा कर गीता की जम कर चुदाई की.

एक घंटे की चुदाई मे गीता 3 बार झड़ चुकी थी.

अब वो बुरी तरह से टूट चुकी थी और अधिक घर्णन के कारण गीता की चुत से खुन रिसने लगा था, शिलाजित के असर के कारण मैं अभी तक नही झड़ा था.

फिर मैने अपने लन्ड को निकाल कर गीता के मुह मे दे दिया और गीता के मुंह मे ही अपना सारा पानी छोड़ दिया, गीता सारा पानी गट गट पी गई.

मै वापस अपनी जगह पर बैठ गया और गीता उठ कर बैठ गई.

अब गीता मुझे घुर घुर कर देख रही थी.

मैं अपनी जगह़ पर एकदम से बेहोशी का नाट़क करके गिर गया.

गीता दौड के मेरे पास आई – बाबा बाबा बाबा जी? क्या हुआ?

उसने पानी के कुछ छिटे मेरे चेहरे पर मारे..

मैंने धीरे से अपनी ऑखें खोलीं और उठ कर बैठ गया और बोला – गीता जी क्या हुआ और रजनी कहाँ है?

गीता – मेरी तरफ देखते हुऐ सब ठीक है (गीता समझ रही थी कि जो कुछ भी हुआ है वो ऊपर वाले की मर्जी थी और इस सब के बारे मैं मुझे कुछ नही पता) गीता ने कहा रजनी कमरे मे है आपके गुरू जी ने उसे कमरे मे बुरी शक्तियों से बचाने के लिये बंद कर दिया है और अब वो चले गये, अब आप बताईये के आगे क्या करना है?

मैं मन ही मन खुश हो रहा था, मेरा तरीका काम कर गया, सब कुछ हो गया और मेरा नाम भी नही आया.

सुबह के 5 बज चुके थे, मेरी धोती खुली पड़ी थी और गीता भी नग़ी बैठी थी.

मैने गीता से पुछा – गीता जी मेरे और आपके कपड़े अस्त ब्यस्त क्यों है?

गीता बोली – ये सब पुजा का ही हिस्सा है.

मैनें गीता से कहा – चलिए कपडे़ ठीक कर लो.

गीता उठ कर कपडे पहनने चली गई.

मैने भी अपने कपडे़ पहन लिये.

गीता कपडे़ पहन कर वापस आई और बोली – महाराज अब क्या करना है?

मैने आँखे बन्द करके खोली और कहा – गीताजी चलो रजनी को कमरे से बाहर लाते हैं.

हमने रजनी के कमरे का दरवाजा खोला, रजनी अब भी शांत पड़ी थी.

मैने गीता से रजनी से बात करने के लिए कहा, तो गीता ने रजनी को आवा़ज दी – रजनी बेटा रजनी?

रजनी कुछ नही बोली तो मैने गीता को गंगा जल लाने के लिये कहा. गीता जब तक गंगा जल लेकर आई, तो मैने रजनी की चुत पर से साडी़ हटा कर देखा तो उसकी चुत सूज चुकी थी और हल्का सा खुन अब भी रिस रहा था!

मैने गीता के आने से पहले ही ठक दिया गीता, जैसे ही वो आई मैने गंगा जल हाथ मे लेकर मन्त्र पढ़ कर रजनी पर डालने लगा.

मैने गीता से रजनी के लिए नये कपडे़ लेकर आने के लिये कहा, तो गीता रजनी के कपड़े लेने चली गई.

गीता के जाते ही मैं मंत्र पढते हुए रजनी की चुत जल से साफ करने लगा, रजनी सिसकियां लेने लगी वो कुछ नही बोल रही थी.

जल से चुत साफ करने के बाद मैं अब रजनी की चुत चाटने लगा, रजनी को अब आराम मिलने लगा था. अब वो पहले से बेहतर लग रही थी.

गीता कपडे लेकर आ गई. मैने गीता से कपडे़ ले लिये और कहा – गीता जी रजनी को कपड़े मंत्र जाप करके पहनाने होंगे अगर आप को कोई एतराज ना हो तो.

गीता बोली – जैसा आपको सही लगे करो रजनी सही होनी चाहिए, मुझे आप पे पूरा भरोसा है!

मैं गीता के सामने ही रजनी को कपडे़ पहनाने लगा, पहले ब्रा फिर चड्डी फिर सुट और फिर सलवार रजनी को कपडे़ पहनाने के बाद
मैं रजनी से बात करने लगा और धीरे धीरे रजनी के सर पर हाथ फेरने लगा.

गीता ने रजनी को बोला – बेटा रजनी कैसी हो?

रजनी पहली बार बोली – मॉ मैं ठीक हुँ.

गीता बहुत खुश हुई रजनी की ये बात सुनकर, गीता ने खुशी के मारे मेरे हाथ चूम लिये और बोली – आपके हाथों मे जादु है.

मैने कहा- गीता जी मैने कुछ नही किया जो हुआ ऊपरवाले की मर्जी है पर.

गीता बोली- पर क्या? साफ साफ कहिऐ.

मैने कहा- ज्यादा खुश होने की जरूरत नही है, अभी सब पूरी तरह सही नही हुआ है अभी तो प्रेत का साया हटा है अभी बंदिश भी करनी है, जिसके लिये सात पुजा करनी होंगी बहुत कष्ट उठाने होंगे कर पाओगी?

गीता – मै अपनी बेटी को सही करने के लिए हर पुजा हर कष्ट करने के लिए तैयार हुँ बस आप बताते रहो. मुझे पहले कम भरोसा था लेकिन अब पूरा भरोसा है, जो अब तक कोई नही कर पा़या वो आपने कर दिया, इतने दिनों से मेरी बेटी ने मुझसे बात तक नही की लेकिन आपकी बज़ह से आज उसने मुझे मॉ कह कर बात की.

इतने मे रजनी का बाप घर पर आ गया और बोला – महाराज मैनें आपके बताये अनुसार सब काम किया!

मैं कुछ कहता उससे पहले ही रजनी की मॉ बोली- रजनी के बापु सुनते हो हमारी रजनी ठीक हो गई है उसने मेरे से बात भी की है.

रजनी का बापु खुशी से – तु सच कह रही है? कहॉ है रजनी?

रजनी का बाप भाग कर रजनी के पास गया! रजनी कमरे मे सो रही थी उसने प्यार से रजनी के सर पर हाथ फेरा और आकर मेरे पैरों मे गिर गया और बोला – महाराज मैं कैसे आपका शुक्रिया अदा करू हम आपके आभारी है बताईए क्या दुं आपको.

मेरे बोलने से पहले ही गीता फिर बोली – महाराज कह रहे है रजनी को पूरी तरह ठीक करने के लिए अभी सात पुजा और करनी होगी.

रजनी का बाप बोला – तो देर किस बात की है पुजा चालू कर दो.

मैने कहा – ऐसे नही मै पुजा तो शुरू कर दुंगा, लेकिन जब तक पूजा चलेगी उतने ही समय मे आप को सात नदियों से जल भर कर लाना होगा वो भी सात दिनों में तभी पुजा खत्म होगी, कर पाओगे?

रजनी का बाप बोला – आप पुजा शुरू कीजिए मैं अभी निकलता हुँ जब तक पुजा खत्म होगी मैं आ जाऊंगा.

और फिर..

पढ़ते रहिये, क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.