Adla Badli, Sanyog Ya Saajish – Episode 5

वो एकदम भोली शकल बनाते हुए वादा करने लगा कि वो मुझे चोदने के बाद कुछ नहीं होने देगा और ध्यान रखेगा कि पानी निकलने के पहले ही लंड चूत से बाहर निकाल देगा।

अब मैं एक बार फिर से तैयार हो गई राज के लम्बे लण्ड से अपनी चूत की एक असुरक्षित चुदाई के लिए।

राज : “मुझे तुम्हारा चक्रासन अच्छा लगा। तुम वो आसन फिर से करो और मैं तुम्हे उसी स्तिथि में चोदूंगा”।

मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि योग के आसन करते हुए भी चोदा जा सकता हैं। उसकी नयी सोच को सुन मैं भी रोमांचित हो गयी।

मैं अब बिस्तर से नीचे उतरी और एक बार फिर चक्रासन की स्तिथि में आ गयी। उसने मुझे पाँव ओर चौड़े करने को कहा, मैंने वैसा ही किया।

बिना कपड़ो के चक्रासन करना ही अपने आप में बहुत गरम मामला था। मेरी चिकनी चूत को इस तरह देखकर वो शायद बावरा हो गया।

वह मेरे दोनों पांवो के बीच आकर खड़ा हो गया और अपना लंड पकड़ कर अपने हाथ से रगड़ते हुए ओर कड़क और लम्बा करने लगा।

वो अपने लंड को पकड़, उससे मेरी चूत पर थप्पड़ मारने लगा। चटाक चटाक की आवाजे आने लगी। उसका लंड बहुत भारी था और वो मिला मिला कर मार रहा था तो थोड़ा दर्द भी हो रहा था और उस चटाक की आवाज से मजा भी आ रहा था।

जो अरमान वो पहले पुरे नहीं कर पाया था अब पुरे करने लगा। उसने अब मेरी चूत पर हाथ लगाया और ऊपर नीचे रगड़ने लगा। मेरे मुँह से सिसकिया छूटने लगी।

वो अब नीचे बैठ गया और दोनों हाथों से मेरी चूत के दोनों होंठ को चौड़ा कर अंदर छेद में अपनी जबान रगड़ने लगा।

मैं: “आहह, रा अ ज, हम्म, ओह माय गॉड। अब ओर मत तड़पाओ, कोई मोटी चीज़ डालो प्लीज।”

राज: “अभी डालता हूँ”

यह कह कर वो उठा और मेरे चेहरे की तरफ आ गया और नीचे बैठ कर अपना कड़क कठोर लंड मेरे मुँह के पास ले आया।

मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया। उसने तो पूरा छह इंच का लोहा मेरी मुँह में घुसा दिया। वह अब अपने हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं जितना हो सकता था उसका लंड अपने मुँह से चूस रही थी।

थोड़ी ही देर में मैं चक्रासन करते थक गयी और मैं धीरे धीरे अपने शरीर को नीचे लाते हुए पीठ के बल लेटने लगी।

मैंने उसका लंड मुँह से नहीं छोड़ा, जिससे वो भी मेरे साथ ही नीचे होता गया और मेरी कमर के दोनों तरफ अपने हाथों के बल मेरे ऊपर था।

मैं नीचे लेटी थी और उसका लंड मेरे मुँह में था। उसने अपने हाथों को मोड़ा और मेरे ऊपर पूरा लेट गया। हम 69 पोजीशन में आ गए। मेरी ये पसंदीदा पोजीशन थी। उसने अपने होठ मेरी चिकनी चूत पर रख दिए और मेरी चूत की पंखुडिया को नोचने लगा।

थोड़ी देर हम दोनों ने एक दूसरे के अंगो को चूसने का आनंद लिया। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उसको उठने को बोला।

उसने कहा कि उसको तो अभी अंदर डालना बाकी हैं। उसने मुझे फिर तैयार किया चक्रासन में आने को। मैं एक बार फिर अपनी हिम्मत झूटा कर उसी स्तिथि में आ गयी।

वो एक बार फिर मेरे पैरो के पास आया और इस बार जो मैं चाहती वो चीज़ सही जगह डाली।

उसने अपने हाथों में मेरी नाजुक पतली कमर पकड़ी और मुझे थोड़ा सहारा दिया। अब वो तेजी से अंदर बाहर धक्के मारता हुआ मुझे चोदने लगा। उसने अगर मेरी कमर को पकड़ सहारा नहीं दिया होता तो उसके जोर के झटको की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ जाता और मैं गिर जाती।

उसका लंड इतना लम्बा था कि मुझसे तो सहन ही नहीं हो रहा था। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में ड्रिल करते हुए खड्डा खोद रहा था। मेरे मुँह से दर्द के साथ मजे से भरी सिसकिया निकल रही थी।

धीरे, आहह्ह्ह अम्म ओहह्ह्ह ओह हो हो धीरे धीरे चोद आहहह फट जायेगा। लंड डाला हैं हमम्म अम्म या लोहे की रॉड, आह्ह।

कुछ मिनट बात ही इस पोजीशन के कारण मेरी कमर जवाब देने लगी। मैंने उसको मुझे छोड़ने को कहा। अनिच्छा से उसने मुझे छोड़ा।

मैं अब बिस्तर पर जा सीधा लेट गयी और अपने पाँव चौड़े कर लिए। वो मेरे पास आया, मेरी चूत की दरार खुली पड़ी थी उसके लिए।

उसने अपना अंगूठा मेरी चूत के छेद पर रखा और अंगूठा ऊपर करते हुए जैसे मेरी चूत की दरार को तिलक कर रहा हो।

उसका अंगूठा मेरी दरार को रगड़ता हुआ नीचे से ऊपर आता रहा और मैं लंबी लंबी आहें भरने लगी। वह अब मेरे ऊपर आया अपना लंड मेरी चूत में फिर घुसा दिया।

अब उसका सीना मेरे छाती पर आ मेरे मम्मो को दबा रहा था। मैं मुँह खोल कर आह आह करने लगी। उसके तेज तेज झटके शुरू हो गए। उसका हर एक झटका मेरे अंदर तक जा रहा था, और मस्ती के मारे मेरे मुँह से सिसकिया झर झर बह रही थी।

इस वक्त मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि पति वापिस आ जाये।

थोड़ी ही देर में मेरी चूत से चप्प चप्प की आवाज आने लगी। हम दोनों उस नशीली आवाज में खोने लगे।

उसने अब अपने हाथ सीधे खड़े कर सारा वजन अपने हाथों के पंजो पर ले लिया, जिससे उसका सीना मेरी छाती से थोड़ा दूर हो गया।

इससे वो ओर भी जोर के झटके मार पा रहा था। मेरा तो पानी निकलना शुरू गया था। जल्दी ही फचाक फचाक की आवाज़े आने लगी। मेरी चूत के अंदर सब चिकना चिकना हो चूका था।

मेरे मुँह से लगातार आ अहह्ह्ह आ अहहह की रट निकलने लगी। झड़ने के करीब आयी तो मेरे मुंह से निकलने लगा “हां, यही पे , यही पे , जोर से कर लो , हा ह हा ह… जल्दी… हा ऐसे वाला… आहह्ह्ह जल्दी… आह्ह्हह। उई माँ… हां ये वाला… उईमाँ… उईमाँ उई माँ… आह्ह्ह अ उम्म” और चीखते हुए मैं झड़ गयी।

राज अब भी मुझे बेतहाशा चोदे जा रहा था। मुझे अच्छा लगा कि उसने अभी तक पानी नहीं छोड़ा था मेरे अंदर।

मैंने उसको फिर से याद दिला दिया कि उसको पानी अंदर नहीं छोड़ना हैं। पता नहीं उसने मुझे सुना कि नहीं, वो अपना काम करे जा रहा था।

मेरा काम तो पूरा हो चूका था, अब वो जो भी कर रहा था वो मेरे लिए बोनस था। वो भी अब सिसकिया निकालने लगा।

धीरे धीरे उसकी सिसकिया भी बढ़ने लगी। जब जब उसका लंड मेरी चूत में जाकर झटके मारता उसके मुँह से एक अह्ह्ह की आवाज निकलती।

उसके झटके बड़ी जल्दी जल्दी लग रहे थे, पर अब इतना अंदर नहीं जा रहे थे। थोड़ी ही देर में उसके झटको की गति धीमी हो गयी पर अंदर जाने की गहराई बढ़ गयी।

मुझे लगा इतनी देर से करने के कारण थक गया होगा, तो अपनी एनर्जी इकठ्ठी कर रहा होगा। उसके झटके अब भी धीमे पर गहरे थे।

झटको की गहराई के साथ उसके सुर भी बदल गये थे। पहले हा अ हा अ की तेज आवाज निकाल रहा था तो अब आह्ह्ह्हह आह्ह्ह्ह बोलते हुए गहराइयों के मजे ले रहा था।

थोड़ी देर में देखा वो थक कर रुक गया और अपना लंड मेरी चूत में डाले रहने दिया। मैंने उसकी तबियत पूछने के लिए पूछा “क्या हुआ थक गए क्या?”

वो पूरा पसीना पसीना हो गया था और बोला “नहीं, मेरा हो गया हैं। आई एम सॉरी, मैं इतना खो गया कि समय पर बाहर निकाल ही नहीं पाया।”

मेरा तो दिमाग जैसे सुन्न हो गया। मैंने उसको कंधे से धक्का देते हुए साइड में गिराया और उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत को देखने लगी। वो पूरी चिकने पानी से लथपथ थी और रह रह कर थोड़ा पानी रिस रहा था।

मैंने चिंता के मारे अपने दोनों हाथ सर पर रख दिए और उसकी तरफ खा जाने वाली नजरो से घूर के देखने लगी।

वो अपनी सफाई देने लगा “देखो, तुम्हे कुछ नहीं होगा चिंता मत करो। वैसे मैं निकाल देता हूँ, पर तुम्हारा ये फिगर देख कर, पता नहीं क्या हो गया, और मैं कंट्रोल नहीं कर पाया”।

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मैने कहा “कम से कम झड़ते वक्त थोड़ी जोर की आवाज तो निकालते ताकि मुझे पता तो चलता और तुम्हे रोक पाती”।

उसने बून्द बून्द करते अपना सारा पानी छोड़ा तो मुझे भी पता नहीं चला। एक साथ पिचकारी छोड़ता तो मुझे मालूम पड़ जाता।

वो बोला “सॉरी, पर झड़ते वक्त मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। मेरी तो आवाज भी नहीं निकल पा रही थी। शादी के बाद पहली बार जब पायल को चोदा था तब ऐसी हालत हुई थी और उसके बाद अब”।

मेरा गुस्सा देख कर वो अपने कपडे समेट बाथरूम को भागा। मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी आँखें बंद कर ली।

मुझे तो आज तक कभी इमरजेंसी पिल की जरुरत भी नहीं पड़ी, सिर्फ अपनी सहेलियों से सुना भर था। अगले दो दिन तक हम यहाँ घूम रहे होंगे तो फिर पिल ले भी नहीं ले पाउंगी। मैं चिंता में घुली जा रही थी।

थोड़ी देर में ही राज बाथरूम से बाहर आया।

मैंने बिस्तर पर देखा थोड़ा वीर्य गिरा था, मैंने उसको पोंछा और अपना स्लीप शर्ट और शार्ट उठा कर बाथरूम को भागी। मैं अब अपनी चूत को धो धो कर उसका पानी निकालने का प्रयास करने लगी, जब कि मुझे भी पता था कि अगर कुछ हुआ होगा तो मेरे धोने से कुछ नहीं होने वाला।

मैं अब अपनी साफ़ सफाई करके अपना स्लीप वियर पहन कर फिर बाहर आ गयी। राज वही मुजरिम की भांति बैठा था।

वो मुझे फिर दिलासा देने लगा कि मैं चिंता ना करू, कुछ नहीं होगा। मैंने देखा कि बिस्तर पर वीर्य साफ़ करने से अभी भी थोड़ा गीला दिख रहा था। मैंने वहा रजाई डाल कर छुपा दिया ताकि पति ना देख सके।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। राज और मैं दोनों घबरा गए। मेरी हिम्मत नहीं थी कि दरवाजा खोल सकू। राज ने ही आगे बढ़कर दरवाजा खोला।

पति अंदर आये, थोड़े थके हुए लग रहे थे। हम कुछ पूछते इतनी देर क्यों लगी, उसके पहले ही वो बताने लगे।

उन्होंने कहा “कल के लिए मैंने सब सेट कर दिया हैं, कहाँ और कैसे जाना हैं। इन्ही सब चीजों के कारण बहुत देर लग गयी।”

हम भी थोड़े खुश थे, क्युकी हमने तो उनके जाने के बाद कुछ घूमने के प्लान की बजाय कोई दूसरा ही प्लान तामील कर लिया था।

राज बोला “सब सेट हैं तो ठीक हैं, अब मैं चलता हूँ अशोक, कल सुबह मिलते हैं”।

अशोक ने कहा “ठीक हैं गुड नाईट, कल सुबह नीचे कैंटीन में नाश्ते के लिए आ जाना साढ़े आठ बजे तक और फिर हम नौ बजे तक निकल जायेंगे घूमने को”।

राज अब गुड नाईट बोल कर चला गया।

अशोक ने बोला “चलो बहुत देर हो गयी हैं, अब हम सो जाते हैं”।

मैं पति से पहले, बिस्तर के उस हिस्से में जाकर सो गयी जहा वीर्य की वजह से गीला हो गया था। मैं अब थोड़ा डर भी रही थी।

डर की वजह प्रेगनेंसी नहीं, ये थी कि कही पति मुझे चोदने की ज़िद ना कर बैठे, जैसा की हर बार होटल में ठहरने के दौरान वो करते हैं। थोड़ी देर पहले ही करने से मेरी चूत अभी भी गीली थी, वो एक मिनट में पकड़ लेंगे मेरी कारस्तानी।

मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, उन्होंने लाइट बंद कर दी और अपनी जगह लेटकर बेड के पास वाला नाईट लैंप भी बंद कर दिया।

वो चुपचाप दूसरी ओर करवट लेकर सो गए। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, आजतक पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया था। हमेशा जिद करके जबरदस्ती कर ही लेते थे।

अब मुझे शंका होने लगी। मैं लेटे हुए पीछे से उनके नजदीक गयी और उनके शॉर्ट्स में हाथ डालने की कोशिश की। पर उन्होंने रोक लिया, तो मेरी शंका ओर बढ़ गयी। मैंने अपना हाथ पीछे लिया तो उन्होंने छोड़ दिया।

मैंने अब जबरदस्ती अपना हाथ तेजी से उनके शॉर्ट्स के अंदर डाल ही दिया। उन्होंने मुझे सोने की हिदायत देते हुए मेरा हाथ फिर बाहर निकाल दिया। मेरा हाथ जब उनके शॉर्ट्स के अंदर गया था तो अंदर थोड़ा गीला था।

मैं सोच में पड़ गयी, वो अब तक कहा थे? जिस तरह मैं राज के साथ मिल उन्हें धोखा दे रही थी क्या वो भी किसी के साथ थे। कही वो पायल के साथ तो नहीं थे? जिसने ख़राब तबियत का बहाना बनाया था?

क्या वह फ़ोन रिसेप्शन से आया था या पायल ने किया था। बाहर जाते वक़्त उन्होंने यह भी कहा था कि राज जाना मत जब तक मैं वापिस न आ जाऊ। क्या मेरे पति मुझसे हिल स्टेशन में बेवफाई कर रहे थे?

फिर मैं शांत हो गयी क्यों की मैं खुद भी वह गलती कर चुकी थी उसी दौरान। फिलहाल मेरी बड़ी समस्या पति की बेवफाई नहीं, मेरी संभावित प्रेगनेंसी थी।

देर रात तक मैं यह सोचती रही कि मेरे पति का कमरे से बाहर इतनी देर के लिए जाना क्या पहले से ही प्लान था। क्या पायल मेरे पति के साथ मिली हुई हैं?

या हो सकता हैं कि राज और मेरे पति आपस में मिले हुए हो और एक प्लान के तहत एक दूसरे की बीवियों के कमरे में अकेले में भेजा और हम दोनों पत्नियों को फंसा रहे हो।

कुछ भी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल था। पति कमरे में तभी लौटे जब मैं और राज अपना काम समाप्त कर चुके थे। शायद जब में वाशरूम में गयी थी तब पीछे से राज ने ही मेरे पति को फ़ोन या मैसेज कर सूचित किया था कि अब आ जाओ हमारा काम हो गया हैं।

फिर सोचा मेरे पति दूसरे पे मुंह मार सकते हैं, पर अपनी बीवी को सिर्फ मजे के लिए दूसरे के हवाले तो नहीं करेंगे। यही सब सोचते सोचते मेरी आँख लग गयी।

सपने में भी राज का लंबा लंड मुझे परेशान कर रहा था। मैंने देखा कि वो मुझे पीछे से बेतहाशा चोद रहा हैं और मेरे पति सामने से मुझे देख रहे हैं। जैसे ही मैं झड़ी, तो उन्होंने आकर मुझे तमाचा मार दिया।

इससे मेरी नींद खुल गयी। घडी में देखा सुबह के पांच बजे थे। सुना था कि सुबह के सपने वैसे भी सच होते हैं। मैं तो डर गयी।

मैंने सोचा पता नहीं आज का दिन कैसा जायेगा। कही मेरा सपना सच ना जाये।

मुझे नहीं पता कि राज ने जो मुझे चोदा, वो एक संयोग था या फिर इसके पीछे कोई साजिश? अगर ये साजिश हैं तो इनमे कौन कौन शामिल हैं?

मुझे ये नहीं पता था कि ये नया दिन मेरी ज़िन्दगी का एक कभी न भुलने वाला दिन साबित होने वाला हैं।

दोपहर से होते हुए रात और फिर अगली सुबह तक जो हम चारो के साथ होने वाला था, उसकी कल्पना हम चारो ने यहाँ आने से पहले नहीं की थी।

मेरी देसी हिन्दी स्टोरी आपको कैसी लग रही है, कृपया कमेंट्स में बताते रहिये।

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